छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में सरकार ने जहां महिलाओं को धुएं से मुक्त और प्रदूषण से बचाव के लिए उज्ज्वला योजना की शुरुआत की है, वहीं सरकार अपनी ही सरकारी संस्थाओं को अब तक धुआं मुक्त नहीं करा पाई है. सरकार के तमाम वादों की अब पोल खुलती नजर आ रही है. मामला कांकेर जिले के आंगनबाड़ी केंद्र से जुड़ा है.
जिले में सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जिनमें अभी भी सहायिकाओं और कार्यकर्ताओं को नौनिहालों के लिए लकड़ी के चूल्हों पर ही खाना बनाना पड़ रहा है. ऐसे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि बरसात के दिनों में इन लकड़ी के चूल्हों पर बच्चों के लिए भोजन बनाना बड़ी मुश्किलों का काम हो जाता है.
बरसात में यहां लकड़ियां गीली हो जाती हैं, जिस कारण समय पर भोजन नहीं बन पाता है. साथ ही इस कारण बच्चों को भी समय पर भोजन नहीं मिल पाता है. उनका ये भी कहना है कि अधिकारियों को कई बार इस समस्या से अवगत कराया गया. बावजूद इसके आज तक इस समस्या का निदान नहीं हो सका है.
बहरहाल, जहां बच्चे अपनी भविष्य गढ़ने के लिए आते हैं, सरकार उन्हीं पर ध्यान नहीं दे पा रही है. इन नौनिहालों में कई बच्चे प्राथमिक शिक्षा के लिए भी आते हैं, लेकिन अव्यवस्था के बीच इन बच्चों का भविष्य धुएं में खोता नजर आ रहा है.