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सकल जैन समाज के भारत बंद के समर्थन में नगर के प्रतिष्ठान रहे पूर्णत: बंद

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जैन धर्म के सबसे पावन व शाश्वत तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखरजी झारखंड को पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पर्यटन क्षेत्र घोषित किया गया है, जिसके विरोध में सकल जैन समाज का पूरे भारत वर्ष में रोष व्याप्त है। इस कड़ी में अखिल भारतीय सकल जैन समाज द्वारा भारत बंद का निर्णय लिया गया और इस निर्णय का देशभर के सकल जैन समाज ने समर्थन करते हुए व्यवसाय बंद रख मौन जुलूस निकाला।

नवापारा-राजिम। जैन धर्म के सबसे पावन व शाश्वत तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखरजी झारखंड को पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पर्यटन क्षेत्र घोषित किया गया है, जिसके विरोध में सकल जैन समाज का पूरे भारत वर्ष में रोष व्याप्त है। इस कड़ी में अखिल भारतीय सकल जैन समाज द्वारा भारत बंद का निर्णय लिया गया और इस निर्णय का देशभर के सकल जैन समाज ने समर्थन करते हुए व्यवसाय बंद रख मौन जुलूस निकाला। इसी कड़ी में नवापारा राजिंम सहित आसपास के सामाजिकजन एकत्रित हुए। उनमें बुजुर्ग, माताएं, बहनें, बच्चे बुधवार 21 दिसंबर को 11.30 बजे गांधी चौक में एकत्रित होकर एक विशाल रैली के रूप में निकले। यह रैली गांधी चौक से हटरी बाजार, सदर रोड होते हुए सुभाष चौक, बस स्टैंड से गंज रोड होते हुए वापस गांधी चौक पहुंची। जहां समाज प्रमुखों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम तहसीलदार रीमा मरकाम को ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर समाज प्रमुख रिखब चंद बोथरा, सुरित जैन, शिखर बाफना, संजय सिंघई, किसन सांखला, डॉ. राजेन्द्र गदिया, अशोक गोलछा, अशोक गंगवाल, अजय कोचर, संतोष बोथरा, संदीप पारख, पं. ऋषभ चंद शास्त्री, कामिनी जैन, अंजू पारख, पायल बाफना, मधु बाफना सहित कई लोग उपस्थित थे।
भारत बंद के समर्थन में जैन कर्मचारियों ने अवकाश लेकर बंद के समर्थन में शामिल हुए, वहीं, छात्रों ने भी स्कूलों से अवकाश लेकर जुलूस में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। समाज में यह पहला मौका है जब सकल जैन समाज के प्रत्येक घर से बच्चे से लेकर बूढ़े और महिला, पुरुष हजारों की संख्या में शामिल हुए। नगर में पहली बार देखा गया कि हड़ताल के दौरान जैन समाज का यह जुलूस लगभग एक किलोमीटर लम्बा था और मौन होकर चल रहे थे । रैली में पुरुष वर्ग श्वेत वस्त्र वमहिलाएं केसरिया/ पीला वस्त्र पहने हुए थे। वे अपने साथ जैन ध्वज लेकर चल रहे थे। हाथों में विरोध के लिए तख्तियां लेकर चल रहे थे। रैली में सभी अनुशासन का पालन करते हुए दो-दो की लाइन में क्रमबद्ध चल रहे थे। सभी प्राय: एक ही नारा लगा रहे थे कि ‘हम सब ने ठाना है, समवेत शिखर बचाना है।


ये हैं प्रमुख मांगें

20 जैन तीर्थंकरों और अनंत संतों की मोक्षस्थल श्रीसम्मेद शिखरजी पारसनाथ पर्वतराज, गिरिडिह (झारखंड) की स्वतंत्र पहचान, पवित्रता और संरक्षण, पारसनाथ पर्वतराज को वन्य जीव अभयारण्य, पर्यावरण पर्यटन के लिए घोषित इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत जोनल मास्टर प्लान व पर्यटन मास्टर प्लान, पर्यटन/धार्मिक पर्यटन सूची से बाहर किया जाए। तीर्थराज की स्वतंत्र पहचान व पवित्रता नष्ट करने वाली झारखण्ड सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना क्र. 2795 (ई) दिनांक 02अगस्त 2019 को अविलंब रद्द किया जाए। पारसनाथ पर्वतराज और मधुबन को मांस-मदिरा बिक्री से मु्क्त कर जैन तीर्थस्थल घोषित किया जाए। पर्वतराज की वन्दना मार्ग पर अतिक्रमण, वाहन संचालन व अभक्ष्य सामग्री बिक्री मुक्त कर यात्री पंजीकरण, सामान जांच के लिए स्कैनर, सीसीटीवी कैमरे सहित दो चेक पोस्ट चिकित्सा सुविधा सहित बनाए जाए। पर्वतराज से पेड़ों का अवैध कटान, पत्थरों का अवैध खनन और महुआ के लिए आग लगाना प्रतिबंधित हो।