छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के सुरनार गांव की तस्वीर बदल रही है. शिक्षा को लेकर जागरूक महिला सरपंच मीना मंडावी ने पूरे गांव में ‘स्कूल चलो अभियान’ की तर्ज में मुहिम चला रही हैं. इतना ही नहीं गांव के सभी स्कूलों में दर्ज संख्या पूरी होने लगी है, लेकिन अब भी इस गांव में नक्सलवाद के गहरे घाव हैं जिसकी वजह से विकास की रफ्तार प्रशासनिक मदद के लिहाज से धीमी है. गांव में बनने वाले आश्रम भवन को जिला प्रशासन ने दूसरे ब्लॉक में बनवा दिया है, जिस चलते गांव की सरपंच मीना समेत ग्रामीणों में प्रशासन के इस कदम के खिलाफ नाराजगी है.
दरअसल, दंतेवाड़ा के कटेकल्याण ब्लॉक का सुरनार धूर नक्सलगढ़ माना जाता है. इस गांव तक सड़क तो है, लेकिन सड़क पर सरकार नहीं है. कच्चा रास्ता नालों के बीच बिजली के खंभों का पुल गांव वालों ने बना रखा है. प्रशासन ने 7 पारा और 4000 की आबादी वाले इस गांव का सुरनार आश्रम भवन सुरनार से 15 किलोमीटर दूर कुआकोंडा ब्लॉक में बना दिया है. इस कारण गांव के बच्चों की शिक्षा को लेकर जगाई गई अलख की लौ कमजोर होती दिखाई दे रही है.
एक समय था जब इस धूर नक्सल क्षेत्र सुरनार गांव के बच्चे अव्यवस्थाओं के बीच भी जबरदस्त उत्साह के साथ अपनी पढ़ाई कर रहे थे. पूरा गांव सरपंच के साथ शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए मुहिम में लगा हुआ था. महिलाओ में सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी सरपंच मीना मंडावी हैं, जिन्होंने ग्रामीणों की कई बार बैठक कर समझाइश दी कि बच्चों को स्कूल भेजे. स्कूल नहीं भेजने पर गांव वालों के राशन कार्ड भी जब्त किए गए थे. राशन नहीं मिलने पर ग्रामीणों ने बच्चों को स्कूल भेजना शुरू कर दिया, अब स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति में इजाफा हुआ है.
ग्रामीण भी मानते हैं कि पहले सुरनार ग्राम को नक्सलियों की वजह से ज्यादा जाना जाता था, लेकिन स्तिथि आज विपरीत है. गांव अब शिक्षा के लिए जाना जाएगा जबकि सहायक आयुक्त आनंद सिंह ने सुरनार के आश्रम को अन्यत्र शिफ्ट करने की बात से इनकार किया और कहा जरूरत होने पर छात्रावास बनाए जाएंगे.