Home History समाज म बदलाव बर जागरुकता जरूरी हे

समाज म बदलाव बर जागरुकता जरूरी हे

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ऐहा कोनो छुपे-छुपाय के बात नोहय के आज के आधुनिक, भौतिक, सिक्छित, टेक्नालाजी अउ बिग्यान के जुग म घलो भारतीय समाज म छुआछूत, भेदभाद, ऊंच-नीच, जइसन कतकोन कुरीतिमन समाय हें। लोगनमन के पहिचान जात-पात, समुदाय, समाज, धन-दौलत, रुतबा, रंग-रूप से करे जाथे।

मितान! आज के समे म ‘महंगई डायन’ खावत जात हे अउ ‘बेगारी-बेरोजगारी’ के सेती लोगनमन बिन मारे मारत जावत हें। नौकरी-चाकरी नइ मिले के सेती पढ़े-लिखे लइकामन के बारा हाल होवत हे। चिंता अउ तनाव म जिनगी गुजारत हें। अइसन म ये खबर सिक्छित बेरोजगारमन बर उम्मीद के एक अंजोर हे कि ‘पंडिताई’ ल रोजगार के माध्यम बनाय बर केंद्र सरकार ह ‘पांडित्य कौसल योजना’ सुरू करे हे। छत्तीसगढ़ के जवानमन ल सिखाय के जिम्मेदारी विस्व हिन्दू परिसद ल सौंपे गे हे।
सिरतोन! विस्व हिन्दू परिसद ह तो परदेसभर के अइसन 3200 सिक्छित बेरोजगारमन के नाव छांट डरे हे, जेमन ल ‘पुरोहित’ बनाय जाही। ऐमन ल गिरिह परवेस, बिहाव, मरनी संस्कार, कथा वाचन अउ आने-आने किसम के पूजा-पाठ, विधि-विधान सिखाय जाही। ये योजना के सबले खास बात ए हावय के ऐमा सबो जात-पात, समुदाय के लोगन सामिल हो सकत हें। याने ‘जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान। मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान।’ (सज्जन मनखे के जात न पूछके वोकर गियान ल समझे बर चाही। जइसे तलवार के कीमत होथे, न के वोला ढकइया खोल के।)
मितान! पंडिताई सिरिफ पंडितेचमन करथें या करहीं के ये बात ह सायद अब बदलइया हे। तेकर सेती, ये योजना ह महज बेरोजगारी दूरिहाचेय म नइ, बल्किन समाज म आपसी सद्भाव, भाईचारा, परेम, एकता के मिसाल कायम करे म घलो सफल हो सकत हे।
सिरतोन! ऐहा कोनो छुपे-छुपाय के बात नोहय के आज के आधुनिक, भौतिक, सिक्छित, टेक्नालाजी अउ बिग्यान के जुग म घलो भारतीय समाज म छुआछूत, भेदभाद, ऊंच-नीच, जइसन कतकोन कुरीतिमन समाय हें। लोगनमन के पहिचान जात-पात, समुदाय, समाज, धन-दौलत, रुतबा, रंग-रूप से करे जाथे। समाज म दबंगई के खबर तो आतेच रहिथे।
मितान! सबो जानत हावंय के देसभर म बाढ़त बेरोजगारी ल लेके जोरदार बहस चलत हे। समे-समे म रोजगार खातिर बेरोजगारमन कतकोन किसम के परदसन करत रहिथें। सरकार बर वोमन गुस्साय हें। अतेक रोजगार देय हन, देवत हन कहिके केंन्दर अउ राज्य सरकारमन अपन-अपन आंकड़ा अउ तर्क देथें। केंन्दर अउ राज्य सरकार बेरोजगारी ल लेके एक-दूसर ल दोस देय बर नइ चूंकय।
बेरोजगारी कमतिया बर ‘पांडित्य कौसल योजना’ ल लेके गंभीरता बरते के जरूरत हे। ऐमा बेरोजगार लइकामन के भविस्य के संगे-संग समाज अउ देस के हित घलो हे। ऐकर पहिली समाज म जागरुकता पइदा करे बर परही। काबर के बगैर जागरुकता अभियान के दूसर जात-पात, समाज के लोगनमन से पंडिताई करवई आसान काम नइ होही। जब हमन बदलबोन, तभेच जुग बदलही। फेर, ‘पांडित्य कौसल योजना’ ल लेके समाजमन म जादा उछाह दिखई नइ देवत हे, त अउ का-कहिबे।