छत्तीसगढ़ शासन ने नगर पालिका क्षेत्रों में वर्ष 2025 हेतु नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
छत्तीसगढ़ शासन ने नगर पालिका क्षेत्रों में पंडाल, अस्थायी संरचनाओं, धरना, जुलूस, सभा और रैली जैसे आयोजनों के लिए वर्ष 2025 हेतु नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
”ये नियम सार्वजनिक सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। शासन ने आयोजनों को दो श्रेणियों में विभाजित किया है- पहली श्रेणी में 500 व्यक्तियों तक और 5000 वर्गफुट तक क्षेत्र वाले आयोजन शामिल होंगे,”
”जबकि दूसरी श्रेणी में 500 से अधिक व्यक्तियों और 5000 वर्गफुट से बड़े आयोजनों के लिए प्रावधान किए गए हैं। नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 322 और नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 223 के अंतर्गत यह व्यवस्था लागू की गई है।’
”किसी भी आयोजन के लिए अब बिना अनुमति सार्वजनिक स्थल पर पंडाल या संरचना खड़ी नहीं की जा सकेगी। आयोजकों को कार्यक्रम की तिथि, समय, स्थान, उद्देश्य, मानचित्र, सुरक्षा योजना और स्वच्छता व्यवस्था सहित आवेदन कम से कम सात दिन पूर्व संबंधित निकाय को प्रस्तुत करना होगा।”
”छोटे आयोजनों के लिए आवेदन प्रारूप-बी में और बड़े आयोजनों के लिए प्रारूप-सी में करना अनिवार्य होगा। आवेदन के साथ राजस्व विभाग, पुलिस विभाग, होमगार्ड एवं अग्निशमन और विद्युत विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र संलग्न करना होगा।”
”सक्षम प्राधिकारी तीन कार्य दिवस में आवेदन का निराकरण करेंगे और अनुमति पत्र जारी करेंगे। नए नियमों के अनुसार पंडाल और अस्थायी संरचनाएं मजबूत, स्थिर और यथासंभव अग्निरोधी सामग्री से बनानी होंगी।”
”उच्च घनत्व वाले क्षेत्रों में केवल अग्निरोधक सामग्री का प्रयोग होगा। पंडाल मुख्य सड़कों और चौराहों पर नहीं लगाए जाएंगे और यदि अनुमति दी जाती है तो वैकल्पिक मार्ग चिन्हित करना अनिवार्य होगा।”
”विद्युत तारों के नीचे पंडाल निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा तथा आसपास के भवनों से कम से कम 4.5 मीटर की खुली दूरी रखनी होगी। बड़े और जटिल ढांचों के लिए संरचनात्मक स्थायित्व प्रमाण पत्र लेना होगा और धातु के ढांचे, उचित ब्रेसिंग और एंकरिंग का उपयोग करना अनिवार्य होगा।”
”आयोजन समिति को प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की नियुक्ति करनी होगी, जिनकी सूची और पहचान पत्र स्थल पर प्रदर्शित किए जाएंगे।”
”आयोजन स्थल पर लेआउट मैप, आपातकालीन निर्गमन मार्ग, प्राथमिक उपचार की व्यवस्था, आपातकालीन निकास संकेत, अग्निशमन यंत्र, चिकित्सा किट, पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था और विद्युत आपूर्ति हेतु बैकअप की व्यवस्था करना आवश्यक होगा।”
”स्थानीय भाषा में पुलिस, अग्निशमन और चिकित्सा सहायता के संकेतक लगाना भी जरूरी होगा।”
”आयोजन समिति पर स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन की जिम्मेदारी होगी तथा कार्यक्रम समाप्ति के बाद स्थल को तुरंत साफ करके मूल स्वरूप में लौटाना होगा।’
”अस्थायी शौचालय और जल आपूर्ति की व्यवस्था अनिवार्य होगी, इसके लिए निकाय से सहयोग भी लिया जा सकेगा।”
‘सार्वजनिक संपत्ति को क्षति होने पर उसकी वसूली आयोजक समिति से की जाएगी।”
”आयोजन के दौरान सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और ज्वलनशील सामग्री जैसे सूखी घास, अत्यधिक प्लास्टिक या बिना अग्निरोधक उपचार वाले पतले वस्त्रों के प्रयोग से बचना होगा। पंडाल के प्रवेश और निकास बिंदु स्पष्ट रूप से चिह्नित होंगे और यातायात या आपातकालीन सेवाओं में बाधा नहीं आनी चाहिए। शोभायात्रा, जुलूस और रैली निर्धारित समय में ही पूरी की जानी होगी और इसके लिए पर्याप्त सुरक्षा, यातायात नियंत्रण तथा भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था प्रशासन और पुलिस के सहयोग से करनी होगी।”
”किसी भी आयोजन में राष्ट्रविरोधी, साम्प्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने वाली या सार्वजनिक शांति भंग करने वाली गतिविधियां पूरी तरह प्रतिबंधित होंगी। जिन मार्गों के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध नहीं है, वहां पंडाल लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
”नियमों का उल्लंघन करने पर आयोजन समिति को विधिक प्रावधानों के तहत दंडित किया जाएगा।”
”सक्षम प्राधिकारी स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अतिरिक्त शर्तें जोड़ सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर आयुक्त या मुख्य नगरपालिका अधिकारी को अनुमति निरस्त करने का भी अधिकार होगा।”
‘जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक की सहमति से अतिरिक्त प्रावधान भी शामिल किए जा सकेंगे।”
‘इन नए दिशा-निर्देशों के लागू होने के साथ ही अब छत्तीसगढ़ की नगर पालिकाओं में किसी भी सार्वजनिक आयोजन को केवल तय प्रक्रिया और सुरक्षा मानकों के तहत ही आयोजित किया जा सकेगा।”