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रायपुर में धरने पर बैठ गए नंद कुमार साय:बोले-आदिवासियों को जब तक 32 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल जाता मैं नहीं उठूंगा

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रायपुर में आदिवासी आरक्षण पर वरिष्ठ भाजपा नेता नंद कुमार साय ने आंदोलन शुरू कर दिया है। साय राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होने अपना धरना रायपुर के देवेंद्र नगर चौक पर शुरू किया है। पास ही उनका आवास भी है, यहीं टेंट लगाकर सड़क किनारे वो आरक्षण के मसले पर धरने पर बैठ गए हैं।

देवेंद्र नगर चौक पर धरना दे रहे हैं नंद कुमार साय।
देवेंद्र नगर चौक पर धरना दे रहे हैं नंद कुमार साय।

नंद कुमार साय ने साफ कह दिया है कि जब तक प्रदेश के आदिवासियों के आरक्षण से जुड़ा मसला सुलझ नहीं जाता वो धरने से हटने वाले नहीं है। टेंट में बैठकर उन्होंने कह दिया कि मेरा धरना तब तक चलेगा जब तक 32 प्रतिशत आरक्षण का अधिकार न मिल जाए। दरअसल हाल ही में हाईकोर्ट ने आरक्षण के दिए जाने के नियमों में गड़बड़ी मिलने पर इसे 32 से 20 प्रतिशत कर दिया है। वापस इसे हासिल करने के लिए कानूनी लड़ाई भी जारी है।

साय राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं।
साय राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं।

साय ने कहा- आज आदिवासी समाज चिंतित है , परेशान है। ये आंदोलन सिर्फ रायपुर में ही नहीं बल्कि सरगुजा, बस्तर, राजनांदगांव, जशपुर में हो रहा है। जनजाति समाज दुखी है उनका 32 प्रतिशत आरक्षण खत्म हो गया। आज नौकरी निकलेगी तो आदिवासी को नहीं मिलेगी। सरकार कमी को ठीक करे। ताकि ये आंदोलन खत्म हो और नुकसान की भरपाई हो सके। आदिवासियों की चिंता दूर करे। ये आंदोलन जारी रहेगा जब तक कि ये व्यवस्था ठीक नहीं हो जाती।

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद से राज्य में बवाल जारी है..

2 महीने पहले ही हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में प्रदेश के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में 58% आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था। चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। हाईकोर्ट में राज्य शासन के साल 2012 में बनाए गए आरक्षण नियम को चुनौती देते हुए अलग-अलग 21 याचिकाएं दायर की गई थी, जिस पर कोर्ट का निर्णय आया था।

राज्य शासन ने वर्ष 2012 में आरक्षण नियमों में संशोधन करते हुए अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण प्रतिशत चार प्रतिशत घटाते हुए 16 से 12 प्रतिशत कर दिया था। वहीं, अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 20 से बढ़ाते हुए 32 प्रतिशत कर दिया। इसके साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 14 प्रतिशत यथावत रखा गया। अजजा वर्ग के आरक्षण प्रतिशत में 12 फीसदी की बढ़ोतरी और अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षण में चार प्रतिशत की कटौती को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी।