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अजब बस्तर और गजब यहां की शिक्षा व्यवस्था

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बस्तर संभाग के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार का करने के लिये गांव-गांव में स्कूल भले खोले जा रहे हैं, लेकिन इन स्कूलों में कई ऐसी विसंगतियां हैं, जिसको देखकर आप कह उठेंगे कि अजब बस्तर और गजब यहां कि शिक्षा व्यवस्था। दक्षिण बस्तर के दंतेवाड़ा जिले के अंतर्गत ऐसी ही स्थिति देखने में आई, जहां कुआकोंडा विकासखंण्ड के स्कूलों में यहां कुछ स्कूलों में विद्यार्थी आ रहे हैं, लेकिन उनके अध्यापन के लिये शिक्षक नहीं हैं। वहीं कुछ स्कूल ऐसे भी जहां हैं जहां छात्र बहुत कम या बिल्कुल भी नहीं हैं वहां शिक्षकों की उपस्थिति हो रही है, वे अपना समय काटने के लिये स्कूल आते हैं और गप्प मारकर अपना कर्तव्य पूरा करते हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार विकासखंण्ड के प्राथमिक स्कूल टिकनपाल के कोल्हापारा में 19 विद्यार्थी हैं और यहां एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं है। स्कूल में अतिथि शिक्षकोंं को नियुक्त करके काम चलाया जा रहा है। अध्यापन सहित मध्याह्न भोजन कराने की जिम्मेदारी अतिथि शिक्षको को दी गई है। एक भी नियमित शिक्षक पदस्थ नहीं नहीं है। शिक्षक नहीं होने के कारण 19 में से केवल 6 विद्यार्थी ही स्कूल आ रहे हैं। इसी प्रकार गांव के जोगा, बामन, जनपद सदस्य राजू ने कहा कि शिक्षा विभाग ऐसी शिक्षण व्यवस्थाओं बनाकर बच्चों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहा है। शिक्षक नहीं नियुक्त किया जा सकता तो स्कूल खोलने का क्या औचित्य है।

इसी प्रकार कुछ ग्रामीणों ने कहा कि बर्रेम संकुल के पुजारीपाल उच्च प्राथमिक शाला में पिछले सत्र से स्कूल में दर्ज बच्चों की संख्या शून्य है। छात्रों के नहीं होने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने यहां पर दो शिक्षकों को पदस्थ किया हुआ है। इस प्रकार की शिक्षण व्यवस्थाएं प्राय: सभी स्कूलों में की गई है।

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