आदिवासियों को लुभाने के लिए कांग्रेस हर तरीका अपनाने के लिए तैयार है. वो इस बार बुदनी से आदिवासी को टिकट देने का विचार कर रही है. दरअसल टीम कमलनाथ ये मानती है कि मुख्यमंत्री के ख़िलाफ आदिवासी उम्मीदवार उतारने का फायदा पूरे प्रदेश में मिलेगा.
मध्यप्रदेश में आदिवासियों का बड़ा वोटबैंक है. उसे साधने के लिए आदिवासियों को खुश करना ज़रूरी है. इसके लिए बुदनी सबसे बढ़िया जगह है. कांग्रेस हाईकमान का सोचना है कि बुदनी से सीएम के खिलाफ अगर आदिवासी प्रत्याशी चुनाव लड़ेगा तो पूरे प्रदेश में इसका फायदा पार्टी को मिल सकता है. दरअसल बुदनी से आदिवासियों के एक डेलिगेशन ने कमलनाथ से मुलाकात कर टिकिट की मांग की है. बुदनी में करीब 40 हज़ार आदिवासी वोट हैं जो दोनों ही पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण हैं.
कांग्रेस का कहना है सरकारों ने हमेशा आदिवासियों को दु्त्कारा है. इसलिए इस बार कांग्रेस, गैर आदिवासी सीटों पर भी आदिवासी प्रत्याशियों को टिकट देने का मन बना रही है. वर्तमान में प्रदेश में 20 फीसदी आदिवासी वोट हैं. इनके लिए प्रदेश में कुल 47 विधानसभा सीट आरक्षित हैं. फिलहाल इन सीटों में से 32 सीटें बीजेपी और बाक़ी 15 कांग्रेस के पास 15 हैं. इन 47 सीटों के अलावा 54 ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जो आदिवासी प्रत्याशी के लिए आरक्षित नहीं हैं, लेकिन इन इलाकों में आदिवासियों का दबदबा है. यहां 30 हज़ार से ज़्यादा आदिवासी वोट हैं. आदिवासियों में 40 से ज़्यादा उपजातियां हैं. कांग्रेस की कोशिश इन सभी को साधने की है.
बीजेपी, कांग्रेस के इस गुणा-भाग का मज़ा ले रही है. उसका कहना है कांग्रेस को जिस नेता को बुदनी सीट से उतारना है, जो जनता का दिल जीतेगा वही जीतेगा. सीएम शिवराज सिंह खुद ओबीसी से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में अगर उनके सामने आदिवासी उम्मीदवार खड़ा होता है तो ज़ाहिर है वोट तो बटेंगे ही.



