गुवाहाटी।
सिचलर में स्थित असम यूनिवर्सिटी इन दिनों सुर्खियों में हैं। यूनिवर्सिटी के सेक्स स्कैंडल का खुलासा हुआ है। यूनिवर्सिटी की छात्रा ने एक शिक्षक पर एग्जाम में पास करने के बदले अस्मत मांगने का आरोप लगाया है। इस मामले में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन(एयूएसयू)ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को शुक्रवार दोपहर तक मामले में कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी।
यह मामला उस वक्त सामने आया जब रिम्पी नाथ (बदला हुआ नाम), जो कृषि विभाग में एम.टेक अंतिम वर्ष की छात्रा है, ने स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ सुदीप्तो सरकार पर सेक्शुअल फेवर मांगने का आरोप लगाया। न्याय नहीं मिलने पर पीडि़ता ने एयूएसयू की छात्र शाखा से शिकायत की। पीडि़ता का आरोप है कि डॉ सुदीप्तो सरकार पहले भी कई छात्राओं के साथ ऐसा कर चुका है लेकिन उसका कुछ नहीं बिगड़ा लेकिन मैंने उसकी इच्छा के मुताबिक नहीं किया तो उसने जनवरी से लेकर अब तक मौखिक परीक्षा में मुझे तीन बार फेल कर दिया।
बकौल पीडि़ता, सुदीप्तो सरकार ने मुझे अपने क्वार्टर में ड्रिंक ज्वाइन करने को कहा। यही नहीं उसने मुझसे सेक्शुअल फेवर्स भी चाहा, वह रह रह कर मुझे व्हाट्सऐपपर मैसेज भेजता रहा। अभी तक उसने मेरे साथ जो भी किया उसके सारे सबूत मैंने संभाल कर रखे हैं। मैंने उससे ये सब बंद करने का अनुरोध भी किया लेकिन उसके गंदे इरादे और आदतें नहीं बदल सकी। 16 जुलाई को पीडि़ता ने असम यूनिवर्सिटी के वाइस टांसलर, भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खत लिखा।
इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन हरकत में आया और यूनिवर्सिटी की आंतरिक शिकायत समिति ने 17 जुलाई को मामले को देखा, लेकिन पीडि़ता को न्याय दिलाने की बजाय मामले को दबा दिया गया। इसके बाद उसे शिक्षकों अौर छात्रों से धमकियां मिलने लगी। उसे शिकायत वापस लेने के लिए कहा गया।
पीडि़ता से कहा गया कि वह शिकायत में से सुदीप्तो सरकार का नाम हटा लें। जब छात्रा को कहीं से न्याय नहीं मिला तो उसे असम यूनिवर्सिटी की अपेक्स स्टूडेंट वॉडी एयूएसयू से मदद मांगनी पड़ी। गुरुवार को एयूएसयू ने दाराकोना में प्रेस कांफ्रेंस की और अगले कदम के बारे में जानकारी दी। एयूएसयू के अध्यक्ष मिलान दास ने कहा, शिकायत के 10 दिन बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया, अब हम रजिस्ट्रार के पास जा रहे हैं। शुक्रवार दोपहर 12 बजे तक की उन्हें डेडलाइन दे रहे हैं। अगर तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो हम छात्रा को न्याय दिलाने के लिए अपने अधिकारों का प्रयोग करेंगे।