झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया. लेकिन बहुमत वाली सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा. सरकार का काम हुआ. विपक्ष ने भी अपना तेवर दिखाया. इस सत्र में सदन की मर्यादा भी कई बार आहत हुई. जनता गौण हो गई. उनके हित की पूरी अनदेखी हो गई.
झारखंड विधानसभा का 6 दिवसीय मानसून सत्र शनिवार को समाप्त हो गया. विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. यह सत्र छह दिनों का था. पूरे सत्र के दौरान विपक्षी दल यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा का मुख्य एजेंडा भूमि अधिग्रहण विधेयक वापस लेने की मांग हावी रही. विपक्ष के अन्य दल यानी कांग्रेस, जेवीएम व अन्य दल भी साथ रहे. इस सत्र में सरकार का काम हो गया. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि विपक्ष हठधर्मी बन गया है. लोकतंत्र में यह नहीं चलता है.
कार्यवाही के दौरान कई बार पक्ष और विपक्ष के बीच नोकझोंक और आरोप-प्रत्यारोप होते रहे. कई बार हदें भी पार हो गईं. सत्ता पक्ष की ओर से अपना काम करा लिया गया. अनुपूरक बजट पास हो गया. डेढ़ दर्जन विधेयक पारित हो गए. इस सत्र में 378 प्रश्न आए. एक भी प्रश्न टेक अप नहीं हो सका. विपक्ष खासतौर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का स्टैंड वही रहा. अंतिम दिन झाविमो के प्रदीप यादव ने स्कूलों के विलय का मुद्दा उठाया.