बस्तर संभाग के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र ऐसा है जहां विकास अभी तक नहीं हो पाया है। नक्सलियों के आंतक के कारण विकास की मांग करने वाले ग्रामीणों सहित स्थानीय नेताओं को भी नक्सलियों ने पहले भी निशाना बनाया है और अभी भी वे यही करने की कोशिश कर रहे हैं।
अभी क्षेत्र के गीदम विकासखंड के ग्राम पाहुरनार सरपंच की हत्या भी इसी सिलसिले में नक्सली द्वारा की गई। उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में पिछले आंकड़ों की बात करें तो पिछले पंाच साल में एक दर्जन से अधिक जनप्रतिनिधि, उनके परिजन और मुंशी- ग्रामीणों की हत्या विकास कार्यो में हिस्सा लेने के वजह से की गई है। नक्सलियों का खौफ ग्रामीणों पर ऐसा है कि वे मारपीट और हत्या के बाद भी मुंह नहीं खोलते।
कई मामलों में अंतिम संस्कार होने के बाद भी जानकारी बाहर नहीं निकल पाती। सर्चिंग के दौरान फोर्स पर लगने वाले आरोपों को मानवाधिकार आयोग तक पहुंचाने में पीछे नहीं हटते। वहीं ग्रामीण बुरी तरह जख्मी होने पर भी जंगल में जड़ी-बूटी से इलाज करवाते हैं। इसके चलते नक्सली हत्याओं के सही आंकड़े पुलिस के पास भी नहीं है। नक्सली भय से कुछ जनप्रतिनिधियों ने पद त्याग दिया है या फिर गांव छोडक़र इधर-उधर रहने मजबूर हैं। ऐसे स्थिति संभाग के कुछ अन्य जिलों में भी है।