Kargil Vijay Diwas 2021 War Heroes: हर साल 26 जुलाई को कारगिल युद्ध में शहीद होने वाले देश के उन वीर जवानों को याद किया जाता है, जिन्होंने इस युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। सैनिकों को सम्मानित करने के लिए कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। ये युद्ध मई से जुलाई के बीच 1999 में हुआ था। इस बार इसकी 22 वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। इसे ‘ऑपरेशन विजय’ के नाम से जाना जाता है।
हम सभी जानते हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना के वीर जवानों ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी थी। एक दो कई बल्कि 527 जवान शहीद हुए थे, जबकि पाकिस्तान की सेना के 3 हजार सैनिकों को मार गिराया था। इस युद्ध से दोनों देशों को नुकसान हुआ। चाहे राजनीतिक हो या आर्थिक रूप से। कहते हैं कि जम्मू कश्मीर के कारगिल में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर युद्ध हुआ था। जिसमें भारत के 1363 जवान घायल हो हुए थे।

कारगिल युद्ध के 5 नायक, जिन्हें आज भी किया जाता है सबसे ज्यादा याद
1. कैप्टन विक्रम बत्रा (परम वीर चक्र, मरणोपरांत) (13 JAK राइफल्स)
2. ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव (परम वीर चक्र) (18 ग्रेनेडियर्स)
3. लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे (परम वीर चक्र, मरणोपरांत) (1/11 गोरखा राइफल्स)
4. लेफ्टिनेंट बलवान सिंह (महावीर चक्र) (18 ग्रेनेडियर्स)
5. मेजर राजेश सिंह अधिकारी (महावीर चक्र, मरणोपरांत) (18 ग्रेनेडियर्स)
26 जुलाई को दो से तीन महीने चला युद्ध खत्म हो गया था। जिसका औपचारिक रूप से ऐलान किया गया था। भारतीय सैनिकों ने सफलतापूर्वक इतनी ऊंचाई पर पाकिस्तानी घुसपैठियों से हिस्से को अपने कब्जे में ले लिया था। यह सशस्त्र बलों के सैनिकों की वीरता से ही संभव हो पाया था।
इस युद्ध के सबसे बड़े नायक थे अनुज नैयर
कैप्टन अनुज नैयर 17वीं बटालियन जाट रेजिमेंट के एक भारतीय सेना अधिकारी थे। जो कारगिल युद्ध के दौरान 7 जुलाई 1999 को टाइगर हिल पर लड़ते शहीद हो गए थे। भारत सरकार के द्वारा उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। जबकि दूसरी तरफ कैप्टन विक्रम बत्रा को भी इस जंग का हीरो कहा जाता है। जब भी विजय दिवस आता है तो कैप्टन विक्रम बत्रा को भी याद किया जाता है। बत्रा भी भारतीय सेना के एक अधिकारी थे। जिन्हें 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान उनके कार्यों के लिए भारत के सर्वोच्च और सबसे प्रतिष्ठित वीरता पुरस्कार परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

कहां है कारगिल…
1999 में जम्मू कश्मीर के लद्दाख में स्थित कारगिल एक जगह है। जो आज केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में है। 1947 में भारत के विभाजन से पहले, कारगिल लद्दाख की एक तहसील थी। जो विविध भाषाई, जातीय और धार्मिक समूहों के साथ एक बहुत कम आबादी वाला क्षेत्र था, जो दुनिया के कुछ सबसे ऊंची पहाड़ियों के बीच घाटियों में है। 1947-1948 का भारत-पाकिस्तान युद्ध लद्दाख जिले को विभाजित करने वाली नियंत्रण रेखा के साथ समाप्त हुआ। साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान की हार के बाद दोनों देशों ने सशस्त्र संघर्ष में शामिल नहीं होने का वादा करते हुए शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।