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खूंटी में पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं से गैंगरेप की घटना पूर्व नियोजित: महिला आयोग

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय महिला आयोग ने गुरुवार को कहा कि झारखंड के खूंटी ज़िले में एक ग़ैर सरकारी संगठन की पांच कार्यकर्ताओं के साथ बंदूक का भय दिखाकर सामूहिक बलात्कार की घटना पूर्व नियोजित थी. आयोग ने उस स्कूल के प्रबंधक की भूमिका पर सवाल उठाए हैं, जहां से पीड़िताओं को अगवा किया गया.

बीते 19 जून को विस्थापन एवं मानव तस्करी के विरुद्ध जागरूकता फैलाने के अभियान के तहत पांच महिलाएं ज़िले के कोचांग गांव गई थीं. उनका आरसी मिशन स्कूल से कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया और बाद में बंदूक का भय दिखाकर उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया.

राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपना तीन सदस्यीय दल खूंटी भेजा था. दल ने स्कूल के प्रबंधक फादर अल्फांसो आइंद के आचरण पर गंभीर संदेह व्यक्त किया है. प्रबंधक नुक्कड़ नाटक दल की इन पांच सदस्यों के अपहरण की अधिकारियों को जानकारी देने में कथित तौर पर विफल रहे.

आयोग ने कहा, ‘उन्होंने (प्रबंधक ने) पीड़िताओं से कहा कि वह तथ्यों का किसी के समक्ष खुलासा न करें. लिहाज़ा यह विचार किया गया कि उसने कानूनी आवश्यकताओं के ठीक विपरीत काम किया तथा अपराध को अंजाम देने में संभवत: आरोपियों के साथ सांठगांठ की.’

आयोग की ओर गए दल ने उन सिस्टरों एवं ननों से भी बातचीत की जो कोचांग क्षेत्र में पीड़िताओं के साथ थीं.

जांच ने राज्य प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों की भी समीक्षा की. बातचीत के आधार पर दल ने घटना में फादर अल्फांसो आइंड की भूमिका पर सवाल उठाया है.

मालूम हो कि इस संबंध में पुलिस ने स्थानीय मिशन स्कूल के फादर अल्फांसो आइंद समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

फादर पर आरोप है कि उन्होंने घटना की जानकारी पुलिस को नहीं दी जबकि उनके स्कूल परिसर से ही महिलाओं और युवतियों का हथियार के बल पर अगवा कर ले जाया गया था.

इस संबंध में दर्ज प्राथमिकी पर गौर करें तो जिन खौफनाक हालात से पीड़िताएं गुजरीं वह रोंगटे खड़ा करने वाला है. नुक्कड़ नाटक में शामिल पुरुष सदस्यों को पेशाब पीने तक के लिए मजबूर किया गया, जबकि युवतियों से बेहद ही अमानवीय सलूक किया गया. उनकी तस्वीरें उतारी जाती रही तथा वीडियो भी बनाया गया.

प्राथमिकी के अनुसार, पीड़िताओं ने दावा किया है कि स्कूल के फादर ने अपराधियों के साथ षड्यंत्र रचकर इस खौफनाक घटना को अंजाम दिलाया. फिलहाल सभी पीड़िताओं को पुलिस की सुरक्षा में रखा गया है और उनसे मिलने की इजाजत किसी को नहीं है.

झारखंड पुलिस ने घटना के पीछे पत्थलगड़ी समर्थकों का हाथ होने की बात कही है, हालांकि आदिवासियों ने पुलिस के इस आरोप को खारिज कर दिया है.

रांची से रशमि सिंह

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