छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी कहा जाने वाला आदिवासी समाज इस बार भाजपा का गणित बिगाड़ सकता है. क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव में अब आदिवासी समाज भी मैदान में उतरेगा. आदिवासी समाज ने प्रदेश में आरक्षित 29 में से बीस सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति बना ली है.
बस्तर में सर्व आदिवासी समाज के प्रांतीय उपाध्यक्ष राजाराम तोड़ेम ने कहा है कि पूरे प्रदेश में आदिवासी समाज की स्थिति ठीक नहीं है. आदिवासी आज तक केवल वोट बैंक के रुप में काम आता रहा है, लेकिन इस बार आदिवासी अपने हक के लिये अपना प्रत्याशी उतारेगा.
राजा राम तोड़ेम ने बताया कि साल 1993 में पांचवी अनूसुचि पेशा कानून लागू हुआ. तब से लेकर आज तक आदिवासियों को उनका हक नहीं मिला. जो भी दल सत्ता में आया, उसने आदिवासियों का शोषण ही किया. चुनी हुई सरकार आदिवासियों को जल जंगल जमीन से बेदखल कर रही है. इसी कारण सर्व आदिवासी समाज ने अब ये निर्णय लिया है कि बस्तर के साथ साथ पूरे प्रदेश में 20 सीटों पर समाज का प्रत्याशी चुनाव लड़ेगा.