कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic) की दूसरी लहर के दौरान यूपी, बिहार की नदियों में मिले शवों के मामले की SIT जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई करने से मना कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने को कहा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को NHRC के सामने अपनी बात रखने के लिए कहा है. बता दें कि यूपी के गाजीपुर और उन्नाव और बिहार के बक्सर जिले में गंगा नदी में शव बहते मिले थे. याचिका में इन लोगों की मौत का कारण जानने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट में दो वकीलों प्रदीप यादव और विशाल ठाकरे ने अर्जी दाखिल की थी. अर्जी में मांग की गई थी कि राज्य सरकारों को इन शवों का पोस्टमार्टम करने का निर्देश दिया जाना चाहिए, ताकि मौत की वजह पता चल सके. अर्जी में कहा गया कि गंगा नदी में मिले शव कोरोना संक्रमितों के हैं तो इससे लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा है क्योंकि कई शहरों के लिए गंगा नदी का पानी पेयजल का स्रोत है.
नदियों में तैरते शव स्वास्थ्य और जीने के मौलिक अधिकारों को करते हैं प्रभावित
एक अन्य याचिका वकील राज किशोर चौधरी के माध्यम से विनीत जिंदल द्वारा दायर की गई थी, जिसमें अथॉरिटी को शवों को हटाने और सभी नदी तटों की पारिस्थितिकी को बहाल करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है. याचिका में कहा गया था कि बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में तैरते हुए मिले शव स्वास्थ्य और जीवन के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करते हैं.
नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को पेयजल मुहैया कराया जाए
याचिका में गंगा नदी को एक पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने की मांग की गई है और इसे संरक्षित करने की मांग की गई है. इसके अलावा अथॉरिटी को नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को शुद्ध और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई थी. अथॉरिटी को उन जगहों पर घर-घर जाकर कोविड-19 परीक्षण करने या टीकाकरण के लिए चिकित्सा शिविर आयोजित करने का निर्देश देने की मांग की गई है, जहां नदी के किनारे शव पाए गए. गुहार लगाई गई है कि ऐसे व्यक्तियों या अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने अंतिम संस्कार के नाम पर मोटी रकम वसूल की है.