दक्षिण भारत का बंदीपुर नेशनल पार्क या वेनुगोपाल पार्क भारत के सबसे खूबसूरत और मनोहर राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। कर्नाटक में मैसूर ऊटी हाइवे पर पश्चिमी घाट पर्वत श्रृंखला से घिरा यह राष्ट्रीय उद्यान, भारत के प्रमुख टाइगर रिजर्व में से एक है। मैसूर से 80 किमी दूर ऊटी जाने वाले मार्ग पर स्थित यह उद्यान चामराजनगर जिले के गुंडलूपेट तालुक और मैसूर के एचडी कोटे व नानजनगुड तालुक में स्थित है।

महाराजाओं विशेषकर मैसूर महाराजाओं के निजी शिकार स्थल के रूप में प्रचलित यह उद्यान आज बंदीपुर राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है। इस टाइगर रिजर्व को प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत 1973 में लिया गया। उस दौरान प्रचलित नौ राष्ट्रीय उद्यानों में से यह भी एक बेहद महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उद्यान व टाइगर रिजर्व था।

बंदीपुर टाइगर रिजर्व नीलगिरी वन श्रृंखला का भाग है। ईको कंजरवेटिव बंदीपुर राष्ट्रीय उद्यान की सीमाएं तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उद्यानों से मिलती हैं, जिनमें तमिलनाडु की मुदुमलाई व केरल की वायनाड वाइल्ड लाइफ सेंचुरीज के अलावा उत्तर में स्थित नदी व जलाशय नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान को बंदीपुर राष्ट्रीय उद्यान से जोड़ता है। इस तरह बंदीपुर, मुदुमलाई, वायनाड व नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान भारत के करीब 2100 वर्ग किमी. में फैले सबसे विशाल संरक्षित स्थल ‘नीलगिरी बायोसफियर रिजर्व’ का निर्माण करते हैं।
फॉरेस्ट कंजरवेटर और बंदीपुर टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एसआर नाटेश ने जानकारी दी कि हम हर साल टाइगरों की गणना करते हैं। 2019-20 की गणना के अनुसार अभी बंदीपुर में करीब 128 टाइगर है। यह दक्षिण एशिया का सबसे विशाल आवास या हैबिटेट है। जंगली जानवरों और विशेषकर जंगली हाथियों का जो करीब 2500 की संख्या में यहां मौजूद हैं। बंदीपुर की सीमाओं से जुडे़ मुदुमलाई, वायनाड व नागरहोल राष्ट्रीय उद्यानों में करीब 36 टाइगर्स हैं। इस तरह कुल मिलाकर करीब 175 टाइगर्स इन सभी राष्ट्रीय उद्यानों में मौजूद हैं।

डायरेक्टर नाटेश ने आगे जानकारी देते हुए बताया, ‘बंदीपुर राष्ट्रीय उद्यान का निर्माण 1941 में मात्र 90 वर्ग किमी में फैली वेनुगोपाल वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी के अधिकतर वन क्षेत्रों को मिलाने से हुआ है। बाद में 1985 में इस स्थल का करीब 874.2 वर्ग किमी में विस्तार किया गया। आज बंदीपुर राष्ट्रीय उद्यान 1020 वर्ग कि.मी. में फैला बेहद मनभावन स्थल है जिसमें 874.2 वर्ग किमी कोर क्षेत्र और बाकी का क्षेत्र बफर क्षेत्र के रूप में हैं। कोर क्षेत्र वह क्रिटिकल क्षेत्र होता है जहां लोगों की आवाजाही की सख्ती से मनाही होती है, वहीं बफर क्षेत्र ऐसा परिधीय स्थल होता है, जहां आम जनों की नियंत्रित गतिविधियों के साथ जानवरों व राष्ट्रीय उद्यान की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता है। सबसे रोचक बात इस टाइगर रिजर्व की यही है कि यहां एक ओर बड़ी संख्या में टाइगर्स होने के अलावा 300 के करीब तेंदुए और बड़ी तादाद में जंगली कुत्ते भी पाए जाते हैं।’ नाटेश ने बताया कि जहां तक इन शक्तिशाली जीवों से होने वाली हानि की बात करें तो पिछले साल के दौरान टाइगर के हमले का सिर्फ एक मामला दर्ज किया गया।

दूसरे जीवों में यहां स्लॉथ भालू, चीतल, गौर, सांभर, बारहसिंहा, हिरन, मालाबार गिलहरी, जंगली सूअर, सियार, साही, हरा कबूतर आदि अद्भुत जानवर व पक्षी देखे जा सकते हैं। बंदीपुर और उसके आसपास के राष्ट्रीय उद्यानों का भ्रमण हर वाइल्डलाइफ व प्रकृति प्रेमी के लिये दिल को छू लेने वाला अनुभव होगा। हालांकि वनकर्मियों के लिए इन जंगली जानवरों को उनके निर्धारित क्षेत्रों में सुरक्षा प्रदान करना गंभीर चुनौती के समान है।