पुलिसकर्मियों के लिये सबसे बड़ी समस्या बच्चों की पढ़ाई का खर्च होता है, लेकिन छत्तीसगढ़ पुलिस के कर्मचारियों के लिए बच्चों की पढ़ाई का खर्चा कोई समस्या नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा पुलिसकर्मियों के 15 हजार बच्चों को पिछले दो वर्षों में 10 करोड़ रुपए से अधिक की राशि उपलब्ध कराई गई है। इसमें उच्च शिक्षा के लिए शैक्षणिक लोन के लिए करीब 70 लाख रुपए, शिक्षा निधि से 8 करोड़ से अधिक और डीजीपी मेरिट स्कॉलरशिप योजना के तहत 1 करोड़ 26 लाख रुपए प्रदान किए गए हैं।
पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी ने बताया कि पुलिसकर्मियों के बच्चों को अर्थ के अभाव में शिक्षा से वंचित ना होना पड़े इसके लिये जरूरतमंदों को तत्काल सहायता उपलब्ध करायी जा रही है। हमारा उद्देश्य है कि पुलिसकर्मियों के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करें। अक्सर देखने में आता है कि उच्च शिक्षा हेतु महंगी फीस के लिये बैंकों से ज्यादा ब्याज पर लोन लेना पड़ता है। लेकिन पुलिस परिवार के बच्चों को उच्च शिक्षा पूर्ण करने के लिए सस्ते दर पर 5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से उच्च शैक्षणिक लोन कल्याण निधि से उपलब्ध कराया जा रहा है।
अवस्थी ने बताया कि विगत दो वर्षों में शिक्षा निधि से करीब 15 हजार बच्चों को राशि उपलब्ध कराई गई है। इन बच्चों को जनवरी 2019 से अब तक 8 करोड़ 42 लाख 57 हजार रूपये शिक्षा निधि के रूप में दिये गये हैं। शिक्षा निधि के अंतर्गत पुलिस अधिकारी-कर्मचारी के दो बच्चों के लिये पहली से पांचवी कक्षा तक 1 हजार रुपए , छठवीं से स्नातक के लिये 3 हजार से 10 हजार रुपए तक छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है।
डीजीपी मैरिट स्कॉलरशिप योजना अंतर्गत 450 बच्चों को 1 करोड़ 26 लाख 32 हजार रुपए प्रदान किये गये हैं। इस योजना में बच्चों को 10वीं में 85 प्रतिशत या अधिक अंक प्राप्त करने पर दो हजार रुपए प्रतिमाह दो वर्ष तक एवं 12वीं में 80 प्रतिशत या अधिक अंक प्राप्त करने पर 3 हजार रूपये प्रतिमाह स्नातक स्तर तक की शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। उच्च शिक्षा के लिए शैक्षणिक लोन की योजना की वजह से अब पुलिसकर्मियों को बच्चो के लिये अधिक दर पर बैंकों से लोन नहीं लेना पड़ रहा है। मात्र 5 प्रतिशत की ब्जाज दर पर शैक्षणिक लोन मिल रहा है। विगत दो वर्षों में 69 लाख 35 हजार 678 रुपए शैक्षणिक लोन वितरित किया गया है।