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घर पहुंचने की मजदूरों की बेबसी अपने अंतिम हद तक पहुंच गई है, लाखों रुपए खर्च कर ट्रकों से पहुंच रहे घर…

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जमशेदपुर. घर पहुंचने की मजदूरों की बेबसी अपने अंतिम हद तक पहुंच गई है।घर के लिए निकले मजदूरों से बात करने पर उनकी मजबूरी मन को विचलित करने वाली होती है। मजदूरों का कहना है कि एक तरफ कोरोना है तो दूसरी तरफ भूख। हम तो साहब बस मरने जैसे हालात से जूझ रहे हैं… जब तक सांस है, तब तक आस है.. हम चलते रहेंगे अपनी मंजिल की ओर.. अपने घर की ओर।

रविवार को मुंबई के पनवेल से ट्रक के जरिए पश्चिम सिंहभूम जा रहे अफरोज ने बताया कि वो वहां मजदूरी का काम करता था। अफरोज ने बताया कि उसके साथ 40 आदमी और हैं जिनमें चाईबासा के भी कुछ लोग हैं। उसने बताया कि ट्रक वाले ने एक आदमी का 3600 रुपए किराया लिया है। कुल एक लाख 44 हजार रुपए ट्रक वाले ने लिए हैं। अफरोज ने बताया कि रास्ते में खाने-पीने का कोई प्रबंध नहीं किया। रास्ते में पुलिस कर्मियों ने उनकी सहायता की है। वहीं कुछ मजदूर पलामू में देखे गए। सभी सरायकेला-खरसांवा के निवासी हैं। पूछने पर उन्होंने बताया कि वे रायपुर में मजदूरी करते हैं। काम बंद हो जाने के बाद वे सभी रायपुर से गिट्टी के ट्रक में बैठकर यहां पहुंचे। जिसके बाद पुलिस ने उन्हें रोक लिया। फिर वे ट्रक से उतरकर पैदल ही सरायकेला खरसावां की ओर चल पड़े।

तस्वीर जमशेदपुर के सोनारी बाजार की। रविवार को बाजार में लोगों की भीड़ देखने को मिली। स्थानीय लोगों के मुताबिक, बाजार में मछली और मांस की दुकानें खुलने से भीड़ बढ़ने लगी है।

वहीं शहर में कुछ ऐसे मजदूर भी दिखे जो सड़क किनारे बंद दुकानों के आगे छांव में लेटे और बैठे दिखे। पूछताछ करने पर पता चला कि सभी यूपी के गोरखपुर के रहनेवाले हैं। लॉकडाउन होने के बाद वे सभी फंस गए थे। कोई मदद न मिलता देख घर के लिए रवाना होना उचित समझा। उन्होंने बताया कि वे आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में काम करते थे। मजदूरी भी नहीं मिली थी लेकिन जो कुछ जेब में था, उसी पर भरोसा कर बस घर के निकल गए। रास्ते में जमशेदपुर पहुंचने पर काफी थक गए थे, जिसके बाद आगे न बढ़कर यहां आराम करने लगे।

उधर, जमशेदपुर शहर में दो कोरोना वायरस संक्रमित मिलने के बाद भी सब्जी मंडियों में रोजाना सुबह भीड़ जुट रही है। शहर के खंरगझार मार्केट, सोनारी मार्केट में भीड़ देखी गई। हालांकि चिलचिलाती धूप और प्रशासन की ओर से वायरस के संक्रमण से बचने की अपील पर सभी 10 बजे तक घरों की ओर लौट गए। वहीं शहर के सोनारी एयरपोर्ट जाने वाली और साकची मुख्य सड़क पर 11 बजे के बाद सन्नाटा पसर गया। 

छत्तीसगढ़ के रायपुर से सरायकेला खरसावां के लिए निकले मजदूर। सभी रायपुर से गिट्टी लदे ट्रक में बैठकर आ रहे थे। पलामू में पुलिस ने उन्हें रोक लिया जिसके बाद वे सभी पैदल ही घर की ओर निकल पड़े। 

क्वारैंटाइन सेंटर के लिए अलग भवन की तलाश

जिले में बाहर से आ रहे प्रवासी मजदूरों के लिए क्वारैंटाइन सेंटर में जगह कम पड़ रही है। इसे देखते हुए प्रशासन ने अलग भवन की तलाश शुरू कर दी है। डीसी रविशंकर शुक्ला ने सभी बीडीओ को पत्र लिखकर क्वारैंटाइन सेंटर के लिए सरकारी भवन चिह्नित करने को कहा है। जिले में फिलहाल 155 क्वारैंटाइन सेंटर हैं, जहां करीब 2500 लोगों को क्वारैंटाइन किया गया है। इधर, बिहार के 22 मजदूर विशाखापत्तनम से पैदल ही रोहतास अपने घर के लिए निकले थे। प्रखंड विकास पदाधिकारी मलय कुमार ने सभी से पूछताछ की।

एक मरीज की रिपोर्ट निगेटिव आइसोलेशन वार्ड में किया शिफ्ट
कोलकाता से 12 मई को आए चाकुलिया के दो कोरोना मरीजों में से एक के सैंपल की शनिवार को दोबारा जांच की रिपोर्ट निगेटिव आई है। इसके बाद उसे टीएमएच के आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। यह जानकारी टीएमएच के जीएम डॉक्टर राजन चौधरी ने शनिवार को ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में दी। बताया कि अस्पताल में अभी कोरोना के चार मरीज इलाजरत हैं।
इसके साथ ही कोरोना मरीजों के लिए टीएमएच की पुरानी बिल्डिंग को सेपरेट कर दिया गया है। यहां सिर्फ कोरोना पॉजिटिव व संदिग्ध मरीजों का इलाज हो रहा है। अन्य मरीजों का इलाज अस्पताल की जेजीएमएच बिल्डिंग में किया जा रहा है। मालूम हो कि 6 मई को कोलकाता से अपने घर चाकुलिया पहुंचे एक युवक और एक युवती की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद 12 मई को प्रशासन ने इन दोनों और इनके संपर्क में आए परिजनों को टीएमएच में भर्ती कराया था। कोविड अस्पताल और वार्ड में भर्ती मरीजों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

शहर के खरंगझार मार्केट में रविवार को भीड़ लगी रही। हालांकि 10 बजे के बाद घूप तेज हो गई जिसके बाद वे सभी घर की ओर निकल गए।

एमजीएम में 322 सैंपल की जांच, सभी निगेटिव

एमजीएम अस्पताल के वायरोलाजी लैब में शनिवार को कुल 322 सैंपल की जांच की गई और सभी रिपोर्ट निगेटिव पाया गया। राहत की खबर यह है कि शनिवार को कोरोना का कोई मरीज नहीं मिला है। जबकि पिछले दो दिनों से लगातार दो प्रवासी मजदूर में कोरोना मिलने से हड़कंप मच गया था। हालांकि शनिवार को राहत की बात यह भी रही कि यहां इलाजह कर रहे डॉक्टर व कर्मचारियों की भी जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से पिछले दिनों उन सभी स्वास्थ्यकर्मियों का सैंपल जांच के लिए लैब भेजा गया था जो कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

कोरोना का संक्रमण बढ़ने के साथ ही एमजीएम में सैंपल जांच की रफ्तार तेज हो गई है। अस्पताल के वायरोलॉजी लैब में एक से 15 तक कुल 4270 की जांच हुई है। जबकि संक्रमण शुरू होने के साथ शुरू हुए इस लैब में 14 मार्च से 30 अप्रैल तक 48 दिन में मात्र 2659 सैंपल की ही जांच हो सकी थी। लैब में 14 मार्च से 15 मई तक कुल 6926 सैंपल की जांच हुई है। हालांकि पिछले 15 दिनों में हुई 4270 सैंपल में से 5 मई को 7, 12 मई को 2 तथा 14 और 15 मई को 1-1 सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटव आई थी। बाकी 4259 की रिपोर्ट निगेटिव रही। लैब में 14-30 मार्च तक 296 सैंपल की जांच हुई। 31 मार्च से 15 अप्रैल तक 743 तथा 16- 30 अप्रैल तक 1617 सैंपल की जांच हुई। जबकि 1-15 मई के बीच 4270 सैंपल की जांच हुई है। इनमें से पूर्वी सिंहभूम के 4150, जबकि बाकी पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला और रांची व आसपास के जिलों के हैं।

शहर में सड़क किनारे बंद दुकानों के आगे आराम करते मजदूर। सभी मजदूरों ने बताया कि वे आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में मजदूरी करते थे। कोई मदद न मिलता देख पैदल ही उत्तर प्रदेश गोरखपुर के लिए रवाना हो गए।

यूपी में फंसे 25 कान्वाई चालक पहुंचे शहर, स्वास्थ्य जांच करने के बाद सभी को किया होम क्वारैंटाइन

लगभग दो महीने से लॉकडाउन में फंसे टाटा मोटर्स के 25 कान्वाई चालक शनिवार को ट्रक व अन्य साधनों से जमशेदपुर पहुंचे। कान्वाई चालक 17 मार्च को टाटा मोटर्स से कान्वाई लेकर शाहपुर (उत्तर प्रदेश) के लिए निकले थे। शाहपुर जाने पर सभी चालक वहीं फंस गए थे। ये सभी चालक जमशेदपुर के विभिन्न इलाके के हैं। शनिवार को पारडीह चेकपोस्ट पर सभी को रोका। जहां स्वास्थ्य की जांच की गई। उनका आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस की कापी ली व सभी को होम क्वारेंटाइन के लिए भेज दिया गया है।