रायपुर. रायपुर एम्स जहां से 23 कोरोना मरीज ठीक होकर लौट चुके हैं और 11 अभी भर्ती हैं, उसके डायरेक्टर डाॅ. नितिन एम. नागरकर के अनुसार-छत्तीसगढ़ में इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की गाइडलाइन के अनुसार कोरोना के जितने सैंपल लिए जाने थे, उतने ही लिए गए हैं। इसलिए यह कहना गलत है कि यहां कम लोगों के सैंपल लिए गए, इसलिए मरीज कम निकले। इस मामले में हर देश और हर प्रदेश की पाॅलिसी अलग है। हम अपनी परिस्थितियों के आधार पर काम कर रहे हैं।
तापमान बढ़ने से कोरोना वायरस कम होंगे, इसके अभी तक स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं
सैंपल की जांच के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड वायराेलाॅजी लैब ही है। रैपिड किट ताे अभी आई है। यह उन क्षेत्रों के लिए है, जो हॉटस्पॉट हो, जैसे कटघोरा। लेकिन फाइनल कंफर्मेशन तो लैब की जांच में होता है। मेरा मानना है कि छत्तीसगढ़ में एक दो मरीज को छोड़कर किसी में कोरोना के लक्षण नहीं थे। जैसे उन्हें सर्दी, खांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ होना। यहां तक कि जो विदेश से लौटे थे और जिन्हें कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि हुई, उनमें भी लक्षण नहीं थे। वे स्वेच्छा से आए और जांच कराए और रिपोर्ट पॉजिटिव आई। यह हमारे लिए राहत की बात है कि मरीज कुछ दिनों के इलाज के बाद ठीक हो रहे हैं। ये कहना कि तापमान बढ़ने से कोरोना के वायरस कम होंगे, इसके स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं। इसलिए हम किसी बात पर निर्भर न होकर सोशल डिस्टेंसिंग व लॉकडाउन के पालन के लिए कह रहे हैं। ऐसा करके ही हम छत्तीसगढ़ को काेरोना के खिलाफ खड़ा कर पाएंगे। जो देश ठंडा है और जहां गर्मी है, वहां भी कोरोना के मरीज हैं। मिडिल-ईस्ट से लेकर इंडोनेशिया में भी मरीज मिले हैं। छत्तीसगढ़ में आने वाले दिनों में कोरोना के मरीज कम होंगे या बढ़ेंगे, यह भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। लेकिन जो ट्रेंड चल रहा है, इससे लग रहा है कि यहां राहत रहेगी। लॉकडाउन खुलने के बाद हो सकता है मरीजों की संख्या कुछ बढ़ जाए, लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी। सरकार व हमारी तैयारी अच्छी है। हम कोरोना से जंग के लिए तैयार हैं और हम काफी हद तक सफल भी रहे हैं। -(जैसा कि एम्स के डायरेक्टर डॉ. नितिन एम. नागरकर ने दैनिक भास्कर को बताया)
हमारे मरीजों में भी नहीं थे कोरोना के लक्षण: छत्तीसगढ़ में जो भी 36 मरीज मिले हैं, एक-दो को छोड़कर किसी में कोरोना के लक्षण नहीं थे। लंदन से लौटी युवती को जब मैंने देखा तो बीमारी का कोई लक्षण नहीं था। मैं व डॉक्टरों की टीम हतप्रभ थी, फिर भी हमने फिर प्रोटोकॉल के अनुसार उनका इलाज शुरू किया। बाकी मरीजों का भी ऐसा ही इलाज किया। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ में 68 से लेकर 73 साल के बुजुर्ग छह से नौ दिनों में ठीक होकर चले गए। मैंने डॉक्टरों समेत सभी स्टाफ को तैयार रखा था कि हमें विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार रहना है। हम इसमें कामयाब भी रहे। किसी भी मरीज का वेंटीलेटर पर नहीं जाना, फेफड़े में इंफेक्शन नहीं होना, छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए अच्छा संकेत है।
मरीजों के जल्दी स्वस्थ होने के कारण
- फेफड़े में कोई इंफेक्शन नहीं होना।
- मरीजों में वायरल लोड कम होना।
- दूसरी कोई बड़ी बीमारी नहीं होना।
- ज्यादातर की उम्र 25 से 30 साल।