Home News बाल विवाह कराया तो परिवार समेत बारातियों पर भी कार्रवाई…

बाल विवाह कराया तो परिवार समेत बारातियों पर भी कार्रवाई…

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स्टेट प्लान ऑफ एक्शन के अंतर्गत बाल विवाह, बाल श्रम एवं बाल व्यापार प्रतिषेध एवं बच्चों की शिक्षा तथा किशोर न्याय विषय पर संवेदीकरण कार्यक्रम एवं मौलिक कर्तव्य पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन गायत्री उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में किया गया।

न्यायाधीश श्रीनिवास तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि बाल विवाह एक गंभीर अपराध है। हमारे देश में विवाह की उम्र लड़की का 18 वर्ष एवं लड़के की उम्र 21 वर्ष निर्धारित की गई है। इससे कम उम्र के बच्चों का विवाह कराना ही बाल विवाह है। बाल विवाह कराने वाले दोनों पक्षों को संबंधित पंडित एवं उस बाल विवाह में शामिल सभी बारातियों के खिलाफ आपराधिक मामला बनता है। बाल विवाह यदि हो गई है तो कम से कम एक साल के भीतर उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने पर सभी के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है। बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम की जानकारी देते उन्होंने कहा कि बालकों को 14 वर्ष की उम्र तक शासन से निःशुल्क अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान हमारे देश में लागू है। बच्चों की शिक्षा किसी भी तरह से बाधित न हो इसके लिए शासन की ओर से बाल श्रम नहीं कराया जाता है। यदि किसी फर्म या संस्था में बाल श्रमिक को काम पर रखा जाता है, तो इसकी शिकायत मिलने पर संबंधित फर्म या संस्था के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है। कुछ ही क्षेत्र में जिससे बालकों की शिक्षा प्रभावित न हो वैसी स्थिति में उनके कार्य लिया जा सकता है, जिसकी कार्य के घंटे निर्धारित की गई है। निर्धारित कार्य अवधि से ज्यादा कार्य कराने पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट, बालकों के लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना अधिनियम 2005, विधिक सेवा प्राधिकरण की सक्षम एवं निःशुल्क विधिक सेवा योजना की जानकारी दी गई। इस अवसर पर प्राचार्य अशोक कुमार सिंह एवं शिक्षक उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से पैंफलेट का वितरण किया गया।

न्यायाधीश तिवारी ने कहा कि हमारा संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। हमें संविधान के तहत मौलिक अधिकार प्रदाय किया गया है। साथ ही कुछ मौलिक कर्तव्य भी दिए गए हैं, इसका हमें पालन करना अनिवार्य है। जैसे कि संविधान के आदर्शों, राष्ट्रीय ध्वज एवं राष्ट्र का सम्मान करें, भारत की एकता एवं अखंडता की रक्षा करें, उसे अक्षुण्ण बनाएं रखें। देश की रक्षा करें एवं आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें। भारत के सभी लोगों की समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करें, जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हों। वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास, इसका अर्थ है कि अंधविश्वास को दूर करें मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।