झारखंड के खेलगांव में सोमवार को रायपुर के छछानपैरी निवासी सीएएफ कंपनी कमांडेंट मेलाराम कुर्रे को आरक्षक ने गोली मार दी। घटना की जानकारी मिलते ही कुर्रे के गांव में सुबह से ही मातम पसरा हुआ है। रायपुर से 20 किलोमीटर की दूरी तय कर दोपहर 12:00 बजे नईदुनिया की टीम छछानपैरी पहुंची। जवान के घर का पता पूछने पर एक बुजुर्ग फफक कर रो पड़े, नाम पूछने पर घर का रास्ता इशारों से दिखा गए। जवान के घर की तरफ निकले तो पूरी सड़क सूनी हो चली थी, कुछ दूर जाने पर घर के आगे गांव वाले इकट्ठा दिखे।
चर्चा तेज थी, हो भी क्यों न। हर दिल में बसने वाले थे मेलाराम। घर पहुंचते ही भाई पवन कुमार कुर्रे अपनी पत्नी और बच्चों के साथ आंगन में बैठे खबर से स्तब्ध थे, देखते ही भरी आंखों से हमसे ही भाई के आने की बात पूछने लगे। स्थिति देखकर कुछ उनसे कुछ पूछने की हिम्मत तो नहीं हुई, कुछ देर बैठने पर भाई पवन ने कहने लगे हमारे परिवार के मुखिया वही थे। आज पूरा परिवार जो कुछ भी है, उन्हीं की वजह से खड़ा है।
भाई पवन ने बताया कि भैया का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा। कपड़े बेंचकर कभी जिंदगी काटा करते थे। अपनी मेहनत और लगन से मुकाम हासिल किया। हर किसी की मदद करने के लिए खड़े मेरे भाई की ऐसी हालत देखी नहीं जाती। गांव की भीड़ जमा होने लगी। कोई कुछ बोल तो नहीं रहा था, लेकिन आंखों में आंसू उमड़ने लगे थे।
इसी बीच चाचा फत्तेलाल कुर्रे बोले, मेरे बेटे से भी बढ़कर था मेला, हाल ही में दो महीने पहले आया था, उसने कहा था, जनवरी में जल्दी रिटायर होने वाला हव, फेर गांव में रही के सेवा करहूं। उन्होंने सभी की चिंता करने वाला शायद उसके जैसे कोई दूसरा नहीं था।
पापा की इंतजार में बेटे, मां बेसुध
रायपुर के टिकरापारा में रही रही मृत कमांडेंट मेलराम की पत्नी धान बाई बेसु थीं। डबडबाती आंखों से बेटे महेंद्र कुर्रे ने बताया कि दो महीने पहले पापा आए थे, रोज बात होती थी। अंदाजा भी नहीं था, कुछ ऐसा होगा। हम चार भाई और दो बहन हैं, बहनों की शादी हो गई है, उन्हें अभी खबर नहीं किए हैं। गांव के लिए निकलने वाले हैें। परिवार के लोग वहीं एकत्र होंगे।