फसलों में कीट रोग उत्पन्न होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरे खिंच गई है। दवा छिड़काव के लिए राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा मिशन के तहत 500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से किए जाने वाले सहयोग भुगतान में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। बारिश व धूप का साथ मिलने से पᆬसल तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में धान की फसल में ब्लास्ट झुलसा की संभावना बढ़ने लगी है। कीटनाशक दवा के बढ़े दाम ने किसानों के माथे पर चिंता बढ़ा दी है। वर्षा आश्रित खेती कर रहे किसानों को पानी की समस्या से निजात मिलने के बाद अब पᆬसल रोग की समस्या से जूझना पड़ रहा है।
बारिश का साथ मिलने से खेती में अपेक्षित प्रगति देखी जा रही है। बारिश के साथ अंतराल में धूप का असर होने से धान के पौधों में तेजी वृद्धि हो रही है। ऐसे में फसल रोग की आशंका भी बढ़ने लगी है। समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा मिशन के तहत धान की फसलों में होने वाले रोग के निदान के लिए अनुदान का प्रावधान है। योजना अनुसार फसल में कीट बाधित रोग होने से किसानों को दवा की खरीदी ऐसे लाइसेंसी दुकान से करनी होगी, जिसका टीन नंबर जारी किया गया हो। इसके अलावा किसान का खाता बैंक में होना अनिवार्य है। दवा का बिल निकट के कृषि विस्तार योजना अधिकारी के कार्यालय में प्रस्तुत किए जाने पर राशि का भुगतान खाते में किया जाएगा। अनाज के लिए जहां राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन की ओर से राशि प्रदान की जाएगी, वहीं दलहन फसल में होने वाले रोग निदान के लिए 500 रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान एनएआइ के तहत भुगतान किया जाएगा। फसलों में सूखे की स्थिति निर्मित होने के कारण अब नम मिट्टी में पैदा होने वाले फसल जैसे तिवरा, तुरिया, राई, कुल्थी आदि के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है ताकि किसान उत्पादन में आने वाली कमी की भरपाई कर सके। उन फसलों के बीज की व्यवस्था शासकीय बीज वितरण केंद्रों में जल्दी ही शुरू की जाएगी, ताकि किसान समय पर इसका लाभ ले सकें। बहरहाल किसानों को आशा थी कि नए खरीपᆬ वर्ष में पᆬसल रोग निवारण के लिए दी जाने वाली सहयोग राशि में बढ़ोतरी की जाएगी, किंतु अनुदान राशि को यथावत रखने और दवा की कीमत में वृद्धि होने से किसानों में निराशा देखी जा रही है।
खंड वर्षा से प्रभावित खेत
खंड वर्षा के चलते खेतों में जल ठहराव की स्थिति में भिन्नता देखी जा रही है। सबसे अधिक प्रभावित पोड़ी-उपरोड़ा व कटघोरा विकासखंड में बनी हुई है। अन्य विकासखंड में पᆬसल की स्थिति बेहतर है। कुछ मैदानी खेतों में पानी की आवश्यकता महसूस की जा रही है। रुक-रुककर हो रही बारिश से पनपते पᆬसल में झुलसा, पनसोख जैसी बीमारी की संभावना को लेकर किसान चिंतित नजर आ रहे हैं।
ब्लास्ट का लक्षण व निदान
वर्तमान में पनप रहे झुलसा रोग के बारे में विभागीय अधिकारी की मानें तो तना छेदक रोग अथवा झुलसा के नाम से जाना जाने वाले रोग के कई लक्षण हैं। इसमें धान की फसल का पीला पड़ना, पौधे के पत्ते में गोल-गोल आकार का छेद होना अथवा ऊपरी परत से पत्तियों का सूखना शामिल है। रोग निदान के लिए बावेस्टिन या हिनोशान की छिड़काव की जा सकती है। प्रति हेक्टेयर 250 से 300 ग्राम छिड़काव करना रोग के लिए निदानकारी होगी।
फसलों में रोग नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा मिशन के तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर दवा छिड़काव के लिए 500 रुपये अनुदान का प्रावधान है। बारिश का साथ होने से पᆬसल तेजी से विकसित हो रहा है। खेतों में मौसमी बीमारी की संभावना के पहले किसानों को सजग रहना चाहिए। रोग निदान के लिए दवा के बारे में कृषि विस्तार अधिकारी से किसान जानकारी ले सकते हैं।