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तलवार और तीर के घाव भर जाते हैं वाणी के नहीं…

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कोरबा। उत्तम सत्य धर्म में एक आत्मदर्शन है जो मनुष्य चार कषाओं का निग्रह करके सत्य को समझ लेता है, वही चेतन और अचेतन की पहचान कर पाता है। यह 10 लक्षण धर्म का पांचवा लक्षण है।

उक्त विचार इंदौर की ब्रह्मचारिणी अनीता एवं प्रज्ञा ने पर्यूषण पर्व के पांचवे दिन अपने प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने 10 लक्षण धर्म का पांचवा धर्म उत्तम सत्य धर्म है, जिसकी महत्ता पर प्रकाश डाला और बताया की सत्य धर्म हमें जैन होने की शिक्षा देता है। माता बालक की प्रथम पाठशाला होती है। सत्य एक अनुभूति है, सत्य वचन पुद्गल की पर्याय है। हमें वाणी में मिठास लाकर कोयल की तरह बोलकर सबको प्रभावित करना चाहिए। कड़वा सत्य या कटुता सत्य बोल कर अपना स्वाभिमान नहीं गिराना चाहिए। समिति के मीडिया प्रभारी दिनेश जैन ने कहा कि सत्य बंद वाणी और जीव में से वाणी और बंद में ही रस है। वाणी के घाव कभी नहीं भर सकते हैं, जबकि तलवार और तीर के घाव भर सकते हैं। सुबह सात बजे से अभिषेक शांतिधारा के साथ नित्य नियम पूजा हुआ। शाम सात बजे संगीतमय भव्य आरती व भजन, विद्यालय के बच्चों ने घर-घर विद्यालय हर घर विद्यालय नामक नाटक का मंचन किया। तत्पश्चात समाधि मरण नाटक का मंचन किया गया। नाटक में पारस जैन, सौम्या जैन, आस्था जैन, आदि जैन, ओम जैन, शिवम, श्रद्धा, सृष्टि गुरुदत्त, दिव्यांग, सिद्धार्थ जैन आदि बच्चों ने भाग लिया। समिति के पदाधिकारियों में समिति के संरक्षक डॉ. डीके जैन, नेमीचंद जैन, एसआर जैन, ओम प्रकाश जैन, डॉ. प्रदीप जैन एवं अध्यक्ष डॉ. विमल जैन, सचिव अभय जैन, कोषाध्यक्ष महेंद्र जैन, मीडिया प्रभारी दिनेश जैन, सांस्कृतिक सचिव अखिलेश जैन, मनीष जैन, संत कुमार जैन व्यवस्थापक सुधीर जैन, सुबोध जैन, प्रमोद जैन, राजेश, राकेश, आशीष जैन, शीलचंद जैन सहित समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।