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बीएमएस व इंटक के बीच मान्यता के लिए सीधा मुकाबला

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एनटीपीसी में मान्यता के लिए श्रमिक संघ के मध्य चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 25 सितंबर को होने वाले चुनाव के लिए इंटक एवं बीएमएस ने नामांकन प्रपत्र जमा करा दिया है। इसके साथ ही कर्मचारियों को अपने साथ जोड़ने की कवायद में दोनों संगठन जुट गए हैं। कर्मचारी जिस संगठन को सर्वाधिक वोट देगा, उसी यूनियन को मान्यता मिलेगी। पूरी मान्यता हासिल करने 60 फीसदी वोट हासिल करना होगा।

सार्वजनिक उपक्रम में केंद्रीय मान्यता प्राप्त यूनियन से कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर वार्ता की जाती है। नियमतः कर्मचारियों के सर्वाधिक समर्थन वाली यूनियन ही अधिकृत होती है। एनटीपीसी में मान्यता के लिए यूनियन के मध्य प्रत्येक तीन वर्ष में चुनाव कराया जाता है, इसलिए एनटीपीसी में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। चुनाव अधिकारी का दायित्व एसके दास को सौंपा गया है। शुक्रवार को नामांकन दाखिला की समयावधि समाप्त होने तक राष्ट्रीय ताप विद्युत कर्मचारी संघ इंटक तथा भारतीय मजदूर संघ बीएमएस ने नामांकन दाखिल किया। नौ सितंबर को नामवापसी होगी। नामांकन दाखिला के साथ ही श्रमिक संघ प्रतिनिधियों ने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत कर दी। एनटीपीसी कोरबा में वर्तमान में इंटक को मान्यता मिली हुई है। इंटक ने अपने कार्यकाल में कर्मियों के वेतन समझौता, पदोन्नति, एक्सग्रेसिया समेत कई मुद्दे पर प्रबंधन से चर्चा कर कर्मचारियों को लाभ दिलाया। इससे संगठन को उम्मीद है कि कर्मचारी एक बार पुनः उन पर विश्वास जताएंगे। उधर बीएमएस के पदाधिकारी भी जुट गए हैं और रूपरेखा तैयार कर कर्मचारिनयों को रिझाने जुट गए हैं। कर्मियों को इंटक के छोड़े गए अधूरे कार्यों को मुद्दा बना कर कर्मचारियों का समर्थन मांग रहे हैं। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि 60 फीसदी मत हासिल करने वाली यूनियन को मान्यता मिलेगी। इसके बाद 30 फीसदी मत प्राप्त करने वाली यूनियन के सदस्य को कमेटी में शामिल किया जाएगा। प्रबंधन के साथ वार्ता करने हेतु बनने वाली कमेटी में सर्वाधिक मत हासिल करने वाली यूनियन के सदस्य ज्यादा होंगे, उसके बाद कम प्राप्त करने वाली यूनियन के एक सदस्य को रखा जाएगा।

सीटू व एटक ने दाखिल नहीं किया नामांकन

एनटीपीसी में एटक यूनियन के पदाधिकारी तथा सदस्य हैं, पर सीटू संगठन के कई सदस्य सेवानिवृत्त होने एवं कुछ सदस्यों को दूसरे संयंत्र में स्थानांतरित कर दिया गया। इससे सीटू के कोई भी सदस्य नहीं रह गए हैं। बताया जा रहा है कि एटक ने चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा रही है, इसलिए नामांकन दाखिल नहीं किया। संगठन के पदाधिकारी किसे समर्थन देंगे, इस बारे में फिलहाल कुछ कहना जल्दबाजी होगी। इंटक को उम्मीद अवश्य है कि एटक का समर्थन मिलेगा।

मैनपावर की कमी का असर

एनटीपीसी में नियमित कर्मियों की संख्या लगातार कम हो रही और ठेका मजदूरों में इजापᆬा हो रहा। इसका असर श्रमिक संघ पर भी पड़ रहा है। श्रमिक नेताओं का कहना है कि कर्मचारियों की संख्या घटने पर पदाधिकारी व कार्यकर्ता में ही अंतर नहीं रह गया है, बल्कि चुनाव में भी इसका असर पड़ता है। एनटीपीसी में पिछली बार सितंबर 2016 में चुनाव हुआ था।