एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा एक दिन पहले ट्रैप किए गए नगर तथा ग्राम निवेश के उप संचालक देवेश कुमार बघेल एवं लिपिक अब्दुल रऊफ खान को शनिवार दोपहर बाद कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
बता दें कोंडागांव निवासी लेखराम देवांगन के साढे चार एकड़ जमीन के लेआउट नवीनीकरण हेतु उप संचालक नगर तथा ग्राम निवेश देवेश कुमार बघेल व सहायक ग्रेड तीन अब्दुल रऊफ खान प्रार्थी को बार-बार घुमा रहे थे। उससे दो लाख रुपये रिश्वत की मांग की गई थी। देवांगन ने इसकी शिकायत एसीबी में की। इसके बाद आरोपितों को ब्यूरो ने जाल में फांसने की तैयारी शुरू की।
प्रार्थी द्वारा पहले मध्यस्थता निभाने वाले बाबू खान से बातचीत में पहली किश्त के रूप में एक लाख देने की बात रिकार्ड की गई। इसके बाद शुक्रवार को रकम दिया जाना तय किया गया। इसकी जानकारी लगते ही डीएसपी अभिषेक झा ने प्रार्थी को केमिकलयुक्त नोट दिए, जिसे लेकर वह दफ्तर पहुंचा। रकम देते ही टीम ने दबिश दी। बताया गया कि अफसर ने संदेह होने पर सीधे रकम नहीं लेकर बाबू को देने कहा था। एसीबी ने दोनों को शुक्रवार को ही हिरासत में ले लिया था। उन्हें शनिवार दोपहर बाद अदालत में पेश किया गया जहां से जेल भेजा गया है। बताया गया कि शासन से अनुमति के उपरांत अधिकारी व बाबू के विरूद्ध एसीबी अभियोजन शुरू करेगा।
इस केमिकल का होता है उपयोग
एंटी करप्शन ब्यूरो के द्वारा रिश्वत की शिकायत मिलने पर पहले तो एवीडेंस के लिए आरोपी से बातचीत रिकार्ड करने कहा जाता है। उसके बाद जब रकम लेने के लिए वक्त तय हो जाता है तो फिर ब्यूरो द्वारा सोडियम कार्बोनेट व फिनाफ्थलीन नामक रसायन नोट के बंडल में डालकर प्रार्थी को दे दिए जाते हैं। जैसे ही इस नोट के बंडल को आरोपित अफसर हाथ से पकड़ता है, रसायन उसके हाथ में लग जाता है इसलिए ब्यूरो के अफसर छापेमारी करते ही आरोपित के हाथ धुलवाते हैं। उसके हाथ से निकले रंगयुक्त पानी को न्यायालयीन प्रमाण के तौर पर केस डायरी के साथ पेश किया जाता है। कोर्ट इसे पक्का साक्ष्य मानती है।