चार माह पहले दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर भाजपा विधायक रहे भीमा मंडावी की नक्सलियों द्वारा हत्या की घटना के बाद विधानसभा उपचुनाव में मतदान केेन्द्रों की सुरक्षा की समीक्षा के बाद नक्सल प्रभावित मतदान केन्द्रों की संख्या बढ़ा दी गई है। ज्ञात हो कि उपचुनाव भी भीमा मंडावी की हत्या से रिक्त हुई सीट को भरने के लिए कराया जा रहा है। नक्सलियों ने लोकसभा चुनाव के 36 घंटे पहले नौ अप्रैल को श्यामगिरी में ब्लास्ट कर मंडावी की वाहन को उड़ा दिया था। इस घटना में उनकी व उनके साथ चल रहे चार सुरक्षा जवान शहीद हो गए थे। दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 273 मतदान केन्द्र आते हैं। इनमें 271 मतदान केन्द्र दंतेवाड़ा और दो मतदान केन्द्र नारायणपुर जिले के हैं। चार माह पहले अप्रैल में हुए लोकसभा चुनाव में दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मतदान केन्द्रों में 220 मतदान केन्द्र नक्सली प्रभाव की दृष्टि से अति संवेदनशील और 12 मतदान केन्द्र संवेदनशील की केटेगरी में रखे गए थे। विधानसभा क्षेत्र के 41 मतदान केन्द्रों को सामान्य केटेगरी में शामिल किया गया था। उस समय करीब 85 फीसद मतदान केन्द्र संवेदनशील माने गए थे। भीमा मंडावी की नक्सली हत्या के बाद सामान्य मतदान केन्द्रों की सूची में शामिल रहे कई मतदान केेन्द्र भी नक्सल प्रभाव वाले केन्द्रों में डाल दिए गए हैं। निर्वाचन सूत्रों के अनुसार इस बार नक्सल संवेदनशील मतदान केन्द्रों की संख्या 90 फीसद पार कर गई है।
गोपनीय रख रहे सुरक्षा की रणनीति
जिला पुलिस और सामान्य प्रशासन दोनों उपचुनाव में सुरक्षा की रणनीति को गोपनीय रख रहे हैं। जानकार इसे उचित भी बता रहे हैं। सुरक्षा पर कोई भी उच्चाधिकारी मीडिया से चर्चा नहीं कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि विधानसभा उपचुनाव सिर्फ दंतेवाड़ा में हो रहा है। विधानसभा क्षेत्र की सीमाएं सुकमा, बस्तर, नारायणपुर और बीजापुर जिलों की सीमा से मिली हुई हैं। ये सभी जिले नक्सलियों के प्रभाव वाले हैं। ऐसी स्थिति में उपचुनाव में बाधा डालने के इरादे से पड़ोसी जिलों से भी नक्सलियों का मूवमेंट दतेवाड़ा की ओर होने से इंकार नहीं किया जा सकता। उपचुनाव में सुरक्षा की रणनीति भी इन्हीं सब बातों को सामने रखकर तैयार की गई है। 2018 में हुए विधानसभा और चार माह पहले हुए लोकसभा चुनाव में पुलिस और प्रशासन के द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाने से चुनाव के लिए नक्सली कोई गड़बड़ी नहीं कर सके थे और चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से निपट गया था।