Home News अभेद किलों को बचाने नक्सलियों ने अपनाई मोबाइल ट्रेनिंग की पॉलिसी…

अभेद किलों को बचाने नक्सलियों ने अपनाई मोबाइल ट्रेनिंग की पॉलिसी…

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सुरक्षा बलों के लिए जिले का गंगालूर इलाका जहां नक्सलियों के अभेद किला माना जाता है, वहीं फरसेगढ़ से माड़ इलाके तक विस्तृत नेशनल पार्क माओवादियों के लिए हमेशा महफूज ठिकाना रहा है। माओवादी जिले के चार प्रमुख इलाकों में अपनी पैठ बनाने में काफी हद तक कामयाब हो गए। 2014 के बाद सुरक्षाबलों की संख्या में इजाफा और बढ़ते दबाव के चलते माओवादियों ने अपने इन्हीं अभेद किलों में काफी हद तक बदलाव किया है। 2014 के बाद से गंगालूर व नेशनल पार्क इलाकों में नक्सलियों ने नए लड़ाकों को प्रशिक्षित करने स्थायी ट्रेनिंग कैम्प का संचालन पूरी तरह से बंद कर दिया है। इसके स्थान पर नक्सली अब मोबाइल ट्रेनिंग कैम्प चला रहा हैं। यही नहीं गुरिल्ला वार के प्रशिक्षण के साथ-साथ माओवादियों ने खुफिया तंत्र को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि माओवाद संगठन में यह परिवर्तन साल 2014 के बाद से किया गया है। कई सालों बाद स्ट्रेटजी में इस बदलाव को माओवादियों की सेफ पॉलिसी का हिस्सा बताया जा रहा है। जिले में माओवादी संगठन की चार प्रमुख एरिया कमेटियों में से मजबूत दो कमेटियों का इस पर फोकस ज्यादा है। मिलिट्री इंटेलीजेंस के तहत 2014 के बाद से नक्सली एरिया कमेटी के दायरे में आने वाले गांवों में सूचना तंत्र को मजबूत करने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। इसी तरह नुकसान से बचने स्थायी ट्रेनिंग कैम्प के स्थान पर मोबाइल ट्रेनिंग कैम्प का संचालन कर रहे हैं। नए लड़ाकों को किसी नए स्थान पर एक या दो दिन की ट्रेनिंग देने के बाद वे अपना ठिकाना बदल रहे हैं। बीजपुर में इस समय गंगालूर और नेशनल पार्क एरिया कमेटियां माओवादियों की सबसे मजबूत कमेटियों में से हैं।

2010 और 2014 के बाद से भैरमगढ़, मद्देड़ एरिया कमेटी के मुकाबले गंगालूर और नेशनल पार्क एरिया कमेटी में नक्सलियों की तादाद थोड़ी अधिक है। गंगालूर एसी में जहां कंपनी में 50 से 60, प्लाटून में 20 से 22, एलओएस में 8 से 10 और एलजीएस में मेम्बरों की संख्या है, जबकि नेशनल पार्क एसी में प्लाटून को छोड़ एलओएस व एलजीएस में मेम्बरों की संख्या गंगालूर से अधिक है। वहीं मद्देड़ और भैरमगढ़ एरिया में न सिर्फ सदस्यों की संख्या घट गई है बल्कि यहां मूवमेंट भी काफी हद तक कमजोर पड़ चुका है।

नक्सलियों ने सरकार के बढ़ते दबाव के चलते कमजोर हो रहे संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिए बड़े फेरबदल किए हैं। सूत्र बताते हैं कि दक्षिण बस्तर रीजनल कमेटी के सचिव और मोस्ट वांटेड नक्सल नेता गणेश उइके को इस समय साउथ बस्तर का इंचार्ज बनाया गया है, जबकि कुख्यात नक्सली कमांडर पापाराव को पश्चिम बस्तर की कमांड सौंपी गई है। बीजापुर में सक्रिय भैरमगढ़ एरिया कमेटी में चंद्रन्ना की जगह सुमित्रा को एरिया कमांडर बनाया गया है। गंगालूर एरिया कमेटी से दिनेश और नेशनल पार्क एरिया कमेटी से दिलीप की जगह अन्य युवा नक्सलियों को कमान दी गई है जबकि मद्देड़ एरिया कमेटी में विनोद की जगह जूनियर विनोद को कमांडर बनाया गया है।