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समर्पित नक्सली ने कहा-अपने पिता को भी समझाकर लाऊंगी…

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सामान्य जिंदगी जीने की चाहत ने पांच इनामी नक्सलियों को पुलिस के पास पहुंचने मजबूर किया है। इनमें एक लाख रूपये की इनामी चेतना नाट्य मंडली की अध्यक्ष है जिसका बचपन नक्सलियों के बीच गुजरा है। अब वह फरेब की जिंदगी से दूर रहकर अपनों के बीच जीना चाहती है। 20 साल की शांति इस्ता कहती है कि अब अपने को भी समझाकर समाज के मुख्यधारा में लाऊंगी। मेरा बचपन तो नक्सलियों ने छीना, अब किसी मासूम को समाज से अलग होने नहीं दूंगी। शुक्रवार को एसपी कार्यालय में आत्मसमर्पण करने वाले पांच इनामी नक्सलियों में शामिल एक लाख रूपये की इनामी शांति की अपनी अलग कहानी है। दुभाषिए के जरिए नईदुनिया से चर्चा में कहा कि उसकी मां की मौत हुई तब वह चार- पांच साल की रही। पिता नक्सली संगठन से जुड़ा था और उसे भी उनके बीच रहना पड़ा। गांव की बजाए उसने जंगल की जिंदगी को करीब से देखा है। शांति इस्ता ने बताया कि वह अपने मां- बाप की इकलौती संतान है। पिता मंगल इस्ता जनताना सरकार अध्यक्ष है। इस्ता बताती है कि वह नक्सलियों के बीच में ही पली- बढ़ी है। समर्पण करने की कहानी पिता को नहीं मालूम है, उनको भी नक्सली दलदल से बाहर लेकर आएंगी। शांति का कहना है कि नक्सली बालमन में नक्सली विचारधारा भरकर उन्हें समाज का दुश्मन बनने मजबूर करते हैं। अब पुलिस के संरक्षण में घर वालों के साथ रहेंगी।

नीलावाया और श्यामगिरी का आरोपी

दंतेवाड़ा पुलिस के समक्ष मिलिट्री प्लाटून नंबर 24 के सदस्य कोहरामी मंगल ने समर्पण किया है। कोहरामी मंगल पर आरोप है कि विधानसभा चुनाव के दौरान उसने पत्रकार की हत्या और तीन जवानों को शहीद किया था। इतना ही नहीं 2013 में श्यामगिरी की पहाडिय़ों पर रची गई साजिश का भी साक्षी है। नक्सलियों के इस एंबुश में कुआकोंडा थाना प्रभारी विवेक शुक्ला सहित पांच जवान शहीद हुए थे। समर्पण किए इस नक्सली पर शासन की ओर से दो लाख रूपये इनाम रखा गया था। कोहरामी मंगल उर्फ डेका मलांगिर एरिया कमेटी में सक्रिय एलओएस कमांडर बदरू के द्वारा संगठन में भर्ती हुआ था। नीलावाया का रहने वाला मंगल पिछले दस साल से संगठन के लिए काम कर रहा है।

डॉक्टर ने भी किया समर्पण

नक्सलियों के डॉक्टर मेहरूराम ने भी सर्मपण किया है। एक लाख रूपये के इनामी मेहरूराम ने बताया कि गीदम में पढ़ाई के दौरान एक मेडिकल स्टोर्स में काम करता था। वहां से दवाइयों की जानकारी लेकर नक्सली संगठन में शामिल हुआ। 1997-98 में उसने गीदम मेडिकल स्टोर्स में काम किया। नक्सली संगठन में उसका काम डेढ दशक से सिर्फ इलाज करना रहा है।

बीमारी में गांव गया, पढ़ाई छूटी और बनाया नक्सली

जयराम मंडावी हांदावाड़ा का एलओएस सदस्य था। शासन की ओर से उस पर भी एक लाख रूपये का इनाम घोषित है। जयराम का कहना है कि वह कक्षा नौवीं की पढ़ाई कर रहा था। 2016 में बीमार हो गया तो माड़ स्थित गांव तोयनार (नारायणपुर) गया। उस दौरान पढ़ाई छूटी तो नक्सली कमांडर संजय ने उसे पकड़कर जबरन संगठन में शामिल कराया। संजय ने कहा पढ़ाई छोड़ो जनता के लिए काम करना है। संगठन में काम करने के दौरान समझ में आया कि यहां सब झूठ और फरेब है। इसके साथ सीएनएम अध्यक्ष नरेश नेताम ने भी समर्पण किया है। वह भी नारायणपुर तोयनार का रहने वाला है। नरेश को भी संजय ने ही 2016 में भर्ती कराया था और सीएनएम अध्यक्ष भी बनवाया। नरेश पर भी एक लाख रूपये का इनाम घोषित है।