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42 साल में बनी नहर 24 घंटे के भीतर टूटी, झारखंड सरकार ने चूहों को ठहराया जिम्मेदार

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 झारखंड के उत्तरी छोटानागपुर में सिंचाई परियोजना की बनी कोनार नहर उद्घाटन के बाद 24 घंटे के भीतर टूट गई. जबकि इस नहर को बनने में ओर 42 साल लग गए. नहर के माध्यम से गिरीडीह, हजारीबाग और बोकारो जिलों के 85 गांवों में पानी उपलब्ध कराया जाना था.

CM ने किया उद्घाटन

बुधवार रात घटिया निर्माण के कारण बगोदर में नहर की बांध टूटने पर आला अफसरों का तर्क है कि चूहों के बिल खोदने से बांध कमजोर हो गई थी. गिरीडीह जिले में सिंचाई परियोजना को मुख्यमंत्री रघुबर दास ने बुधवार को लोगों को समर्पित किया था.

फसल हुई बर्बाद

नहर का 100 फीट हिस्सा टूटने के बाद छह गांवों की 100 एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो गई. कई इलाकों में पानी भर गया. रघुवर दास सरकार में जल संसाधन मंत्री रामचंद्र सहिस ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. मंत्री ने 24 घंटे में रिपोर्ट तलब की है.

चूहों पर संदेह

शुक्रवार को जारी सरकारी बयान में कहा गया है, ‘प्रारंभिक जांच में ‘चूहों द्वारा बनाए गए बिल’ पर संदेह जताया जा रहा है, जिससे नहर को नुकसान पहुंचा होगा.’

टीम का गठन किया

जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि नहर के टूटने और फसलों को हुए नुकसान के कारणों का पता लगाने के लिए चीफ इंजिनियर, जल संसाधन विभाग की अग्रिम परियोजनाओं के नेतृत्व वाली एक उच्चस्तरीय टीम का गठन किया गया है. टीम अपनी रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर देगी और नहर की मरम्मत का काम जारी है.

लागत 2500 करोड़

जब इस परियोजना का प्रस्ताव किया गया था तो इस पर कुल लागत 6 करोड़ रुपए आने का अनुमान लगाया गया था. लेकिन 42 साल में बार-बार के संशोधनों के बाद ये लागत 2500 करोड़ हो गई.

इस प्रोजेक्ट का 7 किलोमीटर हिस्सा ज़मीन के नीचे है और बाकी ऊपर है. प्रोजेक्ट से बोकारो, गिरिडीह और हज़ारीबाग के गांवों की 63 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया.