1951 के बाद पहली बार असम में हो रही नागरिकता की पहचान का काम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही है। शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय एनआरसी की अंतिम सूची जारी करेगा। सूची को लेकर लाखों लोगों के दिल की धड़कन अपने भविष्य को लेकर बढ़ी हुई हैं। हालांकि राज्य सरकार ने सूची में नाम नहीं आने पर लोगों को भयभीत न होने और हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया है।आशंका जताई जा रही है कि सूची में नाम शामिल होने पर 41 लाख लोगों को बाहर किया जा सकता है। कई लोगों को यह सुनने के बाद नींद नहीं आ रही है और उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया है। इसके अलावा कई संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लागू की गई है और राज्य में सुरक्षाबलों की 218 कंपनवियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
डीजीपी ने कहा- अफवाह फैलाने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई
असम के डीजीपी कुलाधर सैकिया का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति माहौल बिगाड़ने या अफवाह फैलाने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि एनआरसी को अपडेट करने का काम काफी समय से चल रहा है और कई तरह की चुनौतियों के बीच पुलिस व्यवस्था बनाने में कामयाब रही है।
400 विदेशी न्यायाधिकरणों की स्थापना होगी
असम सरकार सूची में नाम न शामिल होने वाले लोगों के लिए विदेशी न्यायाधिकरण की स्थापना करेगा। जिससे कि उन लोगों को मामलों को निपटाया जा सके। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह राजनीतिक) कुमार संजय कृष्ण का कहना है कि ऐसे 200 न्यायाधिकरण स्थापित करने के लिए प्रक्रिया पहले से ही है और 200 से अधिक लोगों को बाहर रखा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में दिया था आदेश
उच्चतम न्यायालय ने साल 2013 में एनआरसी अपडेट करने का आदेश दिया था। जिससे कि बोनाफाइड नागरिकों की पहचान की जा सके और अवैध अप्रवासियों को बाहर निकाला जा सके। मगर इसपर असल काम फरवरी 2015 से शुरू हुआ था।