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मल्टीनेशनल कारपोरेशन को लूट की छूट दे रही केंद्र सरकार…

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कोरबा । कोयला उद्योग में शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई को मंजूूरी दिए जाने का विरोध शुरू हो गया है। श्रमिक संघ प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार को अपने निर्णय पर विचार करना चाहिए। मल्टीनेशनल कारपोरेशन को लूट की छूट देने का प्रयास किया जा रहा है।

बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कई प्रस्ताव पारित किए गए। इसमें कोयला उद्योग के सभी क्षेत्रों में सौ फीसदी एफडीआई करने की मंजूरी दी गई। कोयला खनन और संबंधित बुनियादी ढांचे में स्वतः मंजूरी को प्रत्यक्ष शामिल किया गया। इसकी जानकारी मिलते ही कोयला कर्मचारी समेत श्रमिक संघ प्रतिनिधियों में हड़कंप मच गया है। केंद्र की इस नीति के खिलाफ श्रमिक संघ में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। श्रमिक नेता विरोध करने की रूपरेखा बनाने जुट गए हैं। इस संबंध में बीएमएस के कोल,नान कोल एवं स्टील प्रभारी डॉ. बीके राय का कहना है कि कोयला उद्योग के सभी क्षेत्रों में सौ फीसदी एफडीआई का बीएमएस विरोध करता है और केंद्र सरकार से मांग करता है कि लिए गए इस निर्णय पर पुनर्विचार कर एफडीआई पर रोक लगाए। उधर सीटू के राष्ट्रीय नेता डीडी रामानंदन ने कहा कि केंद्र सरकार का एफडीआई का फैसला गलत है। सरकार मल्टीनेशनल कारपोरेशन को लूट की छूट दे रही है। भविष्य में उर्जा सुरक्षा को खतरा रहेगा। विदेशी कंपनी जब खदान संचालित करेंगी तो स्थानीय पावर प्लांट को कोयला नहीं देगी। केंद्र के इस निर्णय का सभी श्रमिक संघ से चर्चा कर विरोध कर आंदोलन चलाया जाएगा। एटक के वरिष्ठ नेता दीपेश मिश्रा का कहना है कि अमेरिका के इशारे पर केंद्र सरकार काम कर रही है। दिवालिया हो चुकी तीन अमेरिकी कंपनी को उबारने के लिए सरकार पर दबाव है और इन कंपनियों को घाटा से उबारने के लिए कोयला उद्योग में एफडीआई लाया जा रहा है। केंद्रीय नेतृत्व की अगुवाई में आंदोलन कर विरोध किया जाएगा।