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108 लाख की डेयरी शेड में कर्ज से ली दुधारू छोड़ चले गए ग्रामीण…

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श्वेत क्रांति परियोजना के तहत दो साल पहले तुरेनार में 108 लाख 66 हजार रूपये की लागत से 21 शेड का निर्माण किया गया है। इनमें से पांच शेड में 16 हितग्राहियों की 64 दुधारू गायों के साथ डेयरी शुरू की गई जिनमें से 15 गायों की मौत हो गई है। गायें दूध देना कम कर दीं तो अधिकांश हितग्राही अपनी गायों को छोड़ गए वहीं कर्ज की राशि भी अदा नहीं किए हैं।

शहर के तीन हितग्राही व्यक्तिगत तौर पर 44 गायों के साथ यहां डेयरी चला रहे हैं। आडिट में हितग्राहियों के अमृत दुग्ध उत्पादक समिति में भारी अनियमितता पाई गई है। इसके लिए समिति के अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष को दोषी माना गया है। इन सबके बीच जिला प्रशासन शहर के कुक्कुट पालन केन्द्र को यहां शिफ्ट करने जा रहा है।

108 लाख की डेयरी बदहाल

बताया गया कि श्वेत क्रांति परियोजना के तहत वर्ष 2016-17 में जिला प्रशासन ने जिला खनिज संस्थान न्यास से 68 लाख 33 हजार तथा मनरेगा से 40 लाख 33 हजार (कुल राशि 108 लाख 66 हजार रुपये) से ग्राम पंचायत तुरेनार में 21 शेड का निर्माण कराया था। इनमें कुल 60 हितग्राहियों की 240 दुधारू गायों को रखना था परन्तु 16 हितग्राहियों की 64 गायों के साथ 25 जनवरी 2017 को डेयरी शुरू की गई। इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने किया था। यह डेयरी दो साल में ही दम तोड़ चुकी है। बताया गया कि तुरेनार डेयरी के लिए प्रत्येक हितग्राही को प्रति चार गायों के लिए दो लाख 40 हजार रूपये का कर्ज 25 प्रतिशत अनुदान के साथ पंजाब नेशनल बैंक जगदलपुर से प्राप्त हुआ था। दो- तीन हितग्राहियों को छोड़ कोई भी हितग्राही कर्ज की किश्त राशि अदा नहीं कर रहा है। बताया गया कि डेयरी प्रारंभ होने के समय यहां करीब पांच- छह सौ लीटर दूध होता था परन्तु अब मुश्किल से सौ लीटर दूध ही संग्रहित हो पा रहा है। दूध कम होने के कारण अधिकांश हितग्राही अपनी दुधारू गाय को शेड में छोड़ गए हैं जिन्हें शहर के तीन हितग्राही अपने पास रखे हैं और व्यक्तिगत तौर पर यहां पशुपालन कर रहे हैं। हितग्राहियों ने बताया कि सीईओ जिला पंचायत ने उन्हें शेड खाली करने का आदेश दिया है।

पशुधन विकास विभाग की संयुक्त संचालक डॉ श्रीमती लक्ष्मी अजगल्ले ने बताया कि तुरेनार में प्राइवेट तौर पर हितग्राहियों ने शासकीय योजना के तहत दुधारू प्राप्त किया है। उन्हें विभाग ने अनुदान भी दिया है। वे पार्टनरशिप से डेयरी चलाते रहे हैं। डेयरी की बदहाली को देखते हुए कलेक्टर बस्तर ने शहर मध्य के कुक्कुट पालन केन्द्र को तुरेनार के शेड में शिफ्ट करने का निर्णय लिया है।

लंबे समय से शहर में प्रेक्षागृह के लिए शासकीय भूमि की तलाश होती रही है। राजस्व विभाग के अधिकारी उक्ताशय के लिए जिला पंचायत कार्यालय के बगल के कुक्कुट पालन केन्द्र की जमीन की नाप-जोख करने भी पहुंचे थे, परन्तु प्रेक्षागृह के लिए पीजी कॉलेज की जमीन पर भूमिपूजन किया गया। एल्डरमेन हरीश साहू, सुरेन्द्र झा, प्रगति संघ लेखक संघ के मदन आचार्य का सुझाव है कि कुक्कुट पालन केद्र को बाहर किया जा रहा है इसलिए प्रेक्षागृह को शहर मध्य कुक्कुट पालन केन्द्र वाली जमीन पर बनाया जाना चाहिए।