Home News डॉक्टर से कलेक्टर बने इस अधिकारी ने आदिवासी बहुल और नक्सल क्षेत्र...

डॉक्टर से कलेक्टर बने इस अधिकारी ने आदिवासी बहुल और नक्सल क्षेत्र में बदली स्वास्थ्य सुविधा की तस्वीर

12
0

बीजापुर में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतरीन काम काम के लिए बस्तर जिले के वर्तमान कलेक्टर डॉ अयाज फकीरभाई तम्बोली को एक्सलेंस इन गवर्नेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया। बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, रामविलास पासवान, रविशंकर प्रसाद, जितेंद्र सिंह ने देशभर के 16 कलेक्टरों को सम्मानित किया गया।

तम्बोली को नक्सल प्रभावित बीजापुर में बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने पर अवार्ड मिला है। यह पुरस्कार प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका फाउंडेशन की ओर से दिया गया है। फाउंडेशन ने स्वास्थ्य, नारी सशक्तिकरण समेत 16 विभिन्न श्रेणियों में आवेदन आमंत्रित किया था। देश के 84 जिलों से कुल 249 प्रविष्टियों में तम्बोली का चयन किया गया। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस आरएस लोढ़ा की अध्यक्षता में गठित ज्यूरी ने 16 कलेक्टरों का चयन किया।

खुद डॉक्टर हैं तम्बोली

2009 बैच के आईएएस अयाज तम्बोली एमबीबीएस डॉक्टर हैं। घने वनों, तीन राज्यों की सीमा से सटे, नक्सल प्रभावित और पहुंचविहीन बीजापुर जिले में स्वास्थ्य सेवा का बुरा हाल देख उन्होंने इसमें सुधार का बीड़ा उठाया। बीजापुर जिला अस्पताल का आधुनिकीकरण कर वहां कांट्रेक्ट पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की पदस्थापना कराई। जिला अस्पताल में नियो नेटल यूनिट स्थापित किया। पहले रेफर सेंटर रहे बीजापुर जिला अस्पताल में 2017-18 में करीब 300 ऑपरेशन किए गए।

ग्रामीण चिकित्सा व्यवस्था में सुधार

जिला अस्पताल के अलावा उन्होंने भैरमगढ़ और भोपालपटनम के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की दशा बदली। फरसेगढ़, माटवाड़ा, मोदकपाल, बासागुड़ा, मिरतुर आदि धुर नक्सल इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को उन्नत किया।

सरकारी स्वास्थ्य संरचना का ऐसे किया विकास

आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा से लगा छत्तीसगढ़ का सीमावर्ती आदिवासी जिला बीजापुर नक्सल हिंसा और आतंक की वजह से कुख्यात अति पिछड़े जिलों की सूची में शामिल है। सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधा के लिए तरसने वाले इस जिले में किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह जिला अपनी अलग पहचान स्थापित कर लेगा। आज यहां के सरकारी जिला अस्पताल में वो तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो शहर के किसी बड़े निजी अस्पताल में होती हैं। जिला अस्पताल डॉक्टरों और मेडिकल स्टॉफ भी पर्याप्त संख्या में हैं। इस असंभव काम को यहां 2016 में कलेक्टर बनकर आए डॉ. तंबोली अय्याज फकीरभाई ने संभव कर दिखाया।

2009 बैच के आइएएस अफसर हैं डॉ तंबोली

छत्तीसगढ़ कैडर के 2009 बैच के आइएएस डॉ. तंबोली मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। डॉ. तंबोली के पिता प्राइमरी टीचर थे और मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता। दो बहनों के साथ पढ़ते हुए अपने बलबूते 2006 में मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। 2008 में यूपीएससी में 75वां रैंक आया। डॉ. तंबोली ने अपने अखिल भारतीय सेवा की शुरुआत नगालैंड से की। अगस्त 2009 से फरवरी 2011 तक वहां असिस्टेंट कमिश्नर रहे।

छत्तीसगढ़ में उनकी पहली पोस्टिंग बस्तर जिले के जगदलपुर नगर निगम में निगम आयुक्त के रूप में हुई। इस दौरान वे सब डिविजनल मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी भी संभालते रहे। 2013 में सरकार ने उन्हें दुर्ग जिला पंचायत का सीईओ बनाया। 2014 में उन्हें राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का एमडी बनाया गया। अप्रैल 2016 में उन्हें नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले का कलेक्टर बनाया गया। 10 अगस्त 2018 से डॉ. तंबोली बस्तर जिले के कलेक्टर हैं।