झारखंड आबकारी विभाग ने राज्य में किराने की दुकान में शराब की बिक्री का प्रस्ताव रखा है। किराने की दुकानों में शराब बिक्री के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीएमओ ने कुछ सवालों के साथ आबकारी विभाग को फाइल लौटा दी है। बता दें कि पिछले तीन सालों में झारखंड सरकार ने अपनी आबकारी नीतियों में दो बार संशोधन किया है।आबकारी विभाग
आबकारी विभाग लेकर आया प्रस्ताव
मुख्यमंत्री सचिवालय ने नगर पार्षद और नगर पंचायतों किराना दुकानों में शराब बेचने की आवश्यकता की समीक्षा करते हुए फिर से प्रस्ताव भेजने का आदेश दिया है। पहले, झारखंड में शराब लाइसेंस की नीलामी के जरिए बेची जाती थी। इसके बाद सरकार ने आबकारी नीति में बदलाव किया। साल 2017 में बीजेपी सरकार ने सरकारी दुकानों के माध्यम से शराब की बिक्री शुरू की।
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राजस्व
राजस्व वसूली के लिए रखा गया लक्ष्य
हालांकि, इस कदम से राजस्व में कोई खास फायदा नहीं मिला। राजस्व वसूली के मामले में अपेक्षित सफलता ना मिलने के बाद झारखंड सरकार ने फिर से आबकारी नीति में संशोधन किया। इसके बाद सरकार ने एक अप्रैल, 2019 से शराब की दुकानों की नीलामी भी शुरू कर दी। अब आबकारी विभाग के नए प्रस्ताव के मुताबिक, किराने की दुकानों को लाइसेंस देकर पंचायत स्तर पर भी शराब की दुकानें खोली जा सकती हैं।
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झारखंड
तो..किराना दुकानदार लाइसेंस लेकर बेच पाएंगे शराब!
इस तरह से राज्य सरकार ने शराब की बिक्री के लिए राजस्व हासिल करने का लक्ष्य रखा है। राज्य सरकार ने हर साल 1500 करोड़ रु का राजस्व हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इस प्रस्ताव में झारखंड के सभी नगर निकायों में सालाना 30 लाख रुपए का जीएसटी रिटर्न भरने वाले किराना दुकानों को शराब बेचने की अनुमति प्रदान करने की बात कही गयी है। इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद राज्य के सभी शहरी इलाकों की परचून या किराना दुकानदार लाइसेंस लेकर बीयर या शराब की खुदरा बिक्री कर सकेंगे।