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जानें क्या हैं इनके हाल, छत्तीसगढ़ में यहां रहते हैं महिषासुर के वंशज असुर

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आपने किताबों में पुरातन काल के असुरों के बारे में जरूर पढ़ा होगा पर आप ये नहीं जानते कि असुर समाज के लोग आज भी जीवीत हैं, लेकिन अब वे बदहाली का जीवन जी रहे हैं. छत्तीसगढ़ के जशपुर में विलुप्तप्राय हो चुके असुर जनजाति के कुछ लोग आज भी निवासरत हैं. असुर जनजाति के लोग बदहाली का जीवन जी रहे हैं. खुद को महिषासुर का वंशज बताने वाले असुर समाज ने अब सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

पुरातन काल के असुरों के बारे में आपने कई कहानियां पढ़ीं और सुनीं होंगी. टीवी सीरियल और फिल्मों में भी असुरों के कई रूप आपने देखे होंगे, लेकिन लेकिन आज हम आपको वर्तमान के असुरों से रूबरू करा रहे हैं. जशपुर के मनोरा विकासखण्ड के तीन गांवों में इतिहास के पन्नो में दर्ज असुर आज भी निवासरत हैं. छत्तीसगढ़ में मात्र ये जशपुर जिले के पहाड़ी इलाको में रहते हैं.

अस्तित्व पर खतरा
असुर समाज के मनीराम कहते हैं कि महिषासुर के वंशज माने जाने वाले असुरों की जनसंख्या पूरे देश मे लगभग साढ़े सात हजार है. जबकि छत्तीसगढ़ में महज ढाई सौ की संख्या में ही ये बचे हैं. असुर समाज आज विलुप्त होने की कगार पर है. सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहे असुर जशपुर की पहाडियों में बदहाली का जीवन जीने को मजबूर हैं. 

असुर समाज के गणेश राम कहते हैं विलुप्ती की कगार पर पहुंच चुके असुर जनजाति के लोगों को अभी तक विशेष संरक्षित जनजाति का दर्जा न मिलना कहीं ना नहीं सरकारी खामियों को उजागर करता है. क्योंकि जिले में अन्य कई विशेष संरक्षित जनजातियों के संरक्षण के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है, लेकिन आज तक असुर जनजाति के संरक्षण के लिए कोई पहल नही की गई है.
असुर समाज के गणेश कहते हैं कि पहाड़ी कोरवा, जिनकी संख्या असुरों से कई गुनी ज्यादा है. उनको विशेष संरक्षित जनजाति में शामिल कर उनके उत्थान के लिए शासन-प्रशासन काम कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में महज ढाई सौ की जनसंख्या वाले असुर समाज को विशेष संरक्षित जनजाति का दर्जा तक नही मिल पाया है. विशेष संरक्षित जनजाति का दर्जा नही मिलने से असुर आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं. असुर जनजाति की शिक्षित युवती सीता बेग का कहना है कि जिस तरह पहाड़ी कोरवाओं को नौकरियों में विशेष छूट मिलती है, उसी तरह इस समाज के पढ़े लिखे युवाओ को नौकरी में विशेष छूट मिलनी चाहिए, जिससे इनका आर्थिक विकास हो सके.

बता दें कि पूरे प्रदेश में असुर समाज का सिर्फ एक युवक सरकारी नौकरी में है. उस युवक को कुछ दिन पहले प्यून की नौकरी मिली है. असुर समाज मे अभी भी कई पढ़े लिखे युवा बेरोजगार घूम रहे हैं. स्थानीय लोगों ने असुर समाज को विशेष संरक्षित जनजाति का दर्जा देकर उनके उत्थान की मांग की है. जशपुर के कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर का कहना है कि असुर समाज को संरक्षित करने के लिए ठोस पहल की जाएगी.