नागपंचमी पर स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर मंदिर में कई कार्यक्रम हुए। इस अवसर पर दंगल का आयोजन भी हुआ, जिसमें बच्चों ने बढ़- चढ़कर भाग लिया। प्रतिस्पर्धा काफी रोचक रही। बाल प्रतिभागियों ने मुकाबला जीतने दमखम दिखाया। प्रतिद्वंदी को पछाड़ कुश्ती प्रतियोगिता जीतने में बच्चों का उत्साह देखते ही बना। छात्रों के संबोधित करते शाला शिक्षण समिति के अध्यक्ष नंदकिशोर राना ने नागपंचमी का महत्व भी बताया। राना ने कहा कि सांपों को किसानों का मित्र कहा जाता है, क्योंकि सांप खेतों में विचरण करते फसल को नुकसान पहुंचाने वाले चूहों को अपना भोजन बनाते हैं। इसी तरह अनेक जीवन रक्षक औषधियों के निर्माण में सर्प के विष का इस्तेमाल होता है। पौराणिक मान्यताओं में भी नाग सर्प को देवतुल्य बताया गया है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार प्रतिवर्ष सावन माह में नागपंचमी का पर्व आस्था के साथ मनाया जाता है। इस दौरान शाला शिक्षण समिति के सदस्य सुधाकर, अतुलेश तिवारी, रमेश मांझी, अजीत लम्बाड़ी सहित संस्था अध्यापन प्रभाग के दीदी-आचार्य एवं प्रधानाचार्य मौजूद थे।