अबूझमाड़ ब्लाक मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर जाटलूर पंचायत का पूरा इलाका टापू में तब्दील हो गया है। ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं। पेड़ के दो किनारे में रस्सी के सहारे नदी पार कर ग्रामीण अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए गांव से बाहर निकल रहे हैं। पिछले एक सप्ताह से नदी में जल स्तर काफी बढ़ गया है। पेट की आग बुझाने के लिए राशन का जुगाड़ करने ओरछा तक सफर तय करना पड़ रहा है। मुख्यालय तक आने वाले ग्रामीण बाढ़ की वजह से काफी परेशान हो रहे हैं। ग्रामीणों के साथ आने वाले छोटे बच्चों को गंजी में बिठाकर नदी पार कराया जा रहा है। इससे कभी भी अनहोनी हो सकती है। पिछले साल ग्रामीणों के द्वारा नदी पार करने के लिए एक नाव बनाई गई थी जो बाढ़ में बह गया। गांव में कुछ ग्रामीण पानी कम होने का इंतजार कर रहे हैं। जिनके घरों में राशन खत्म हो गया है वे कंदमूल खाकर जीवन यापन कर रहे हैं। मालूम हो कि नक्सल प्रभावित इलाका होने से बाढ़ आपदा प्रबंधन की टीम वहां तक नहीं पहुंच पाई है। बालक आश्रम शाला के अधीक्षक सुखराम कवाची ने बताया कि बारिश की वजह से जाटलूर के पूरे इलाके में जलस्तर काफी बढ़ गया है। इससे आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ में नदी को पार करने ग्रामीण नदी के दोनों किनारों में एक रस्सी बांध दिया है, जिसे पकड़कर लोग आना- जाना कर रहे हैं। बारिश से गांव तक पहुंच मार्ग कई स्थानों पर खराब है। ओरछा से लेकर जाटलूर तक 10 छोटे -बड़े नालों को पार करना पड़ रहा है। नाले को पार करने के लिए दो से तीन व्यक्ति की मदद लग रही है इस वजह से कोई अकेला आना- जाना नहीं कर रहा है। ओरछा साप्ताहिक बाजार में ग्रामीणों के नहीं पहुंचने से कारोबार भी ठंडा हो गया है जिससे दुकानदारों का आने जाने का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है।