जिला मुख्यालय से भोपालपट्नम, गीदम नेशनल हाइवे और आवापल्ली-बासागुड़ा तक सड़क मार्ग दुरुस्त होने के बावजूद शाम ढलने के बाद यात्री वाहनें कम हो जाती हैं। भोपालपट्नम, आवापल्ली, बासागुड़ा मार्ग पर तो सन्नाटा पसर जाता है। लाइफ लाइन पर इस तरह ब्रेक लगने से मुसीबत यात्रियों की बढ़ जाती है। यात्री बसों के अलावा सवारी टैक्सियां भी उपलब्ध न होने से रात में मुसाफिरों को गंतव्य तक पहुंचने खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। माओवाद के चलते जिले की प्रमुख सड़कें हमेशा से नक्सलियों के निशाने पर रही हैं। बीजापुर-गीदम-भोपालपट्नम नेशनल हाइवे, बीजापुर से आवापल्ली, बासागुड़ा के अलावा गंगालूर सड़क लम्बे समय से नक्सलियों के निशाने पर रही हैं। बसों में आगजनी, बारूदी विस्फोट और मार्ग अवरूद्ध करने जैसी घटनाओं से वर्षों बाद भी यात्री बसों की तादाद बढ़ने के बावजूद शाम ढलने के बाद अधिकतर सड़कों पर बसों का परिचालन नहीं किया जाता है। हालांकि बीते वर्षों में जिले में नक्सली घटनाओं में कमी आई है परिणामस्वरूप यात्री बसों के साथ सवारी टैक्सियों की संख्या में इजाफा हुआ है। जिला मुख्यालय से इंटर स्टेट बस सर्विस को मिलाकर 55 बसें रोजाना विभिन्न मार्गों पर आवाजाही करती हैं। राजधानी रायपुर समेत हैदराबाद के लिए भी सीधी बस सेवा यहां से उपलब्ध है लेकिन शाम होते- होते आवापल्ली-बासागुड़ा मार्ग पर बसें चलनी बंद हो जाती हैं। शाम साढ़े पांच बजे आखिरी बस इस रूट पर रवाना होती है। वहीं रात्रि साढ़े सात बजे भोपालपट्नम के लिए आखिरी बस छूटती है। इस तरह साढ़े पांच और सात बजे के बाद इन दो मार्गों पर मुसाफिरों के लिए यात्री बसों का विकल्प नहीं रह जाता। सवारी टैक्सियां भी गिनती की दौड़ती हैं। ऐसे में टैक्सियां भी उपलब्ध न हो तो मुसाफिरों की मुश्किलों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। गौरतलब है कि कुछ साल पहले तक आवापल्ली-बासागुड़ा मार्ग पर सुरक्षा बेरिकेटिंग के चलते रात में वाहनों की आवाजाही पूरी तरह थम जाती थी। अब हालात बदल चुके हैं। बेरिकेटस हटा लिए जाने के बाद भी नक्सली भय से बसों का परिचालन रात के समय नहीं किया जाता है। इसके मद्देनजर मुसाफिर शाम ढलने से पूर्व बसों में सफर कर गंतव्य तक पहुंचने की जद्दोजहद में होते हैं।