छत्तीसगढ़ के जंगलों में चमगादड़ों की संख्या घट रही है। इसकी प्रमुख वजह है-प्रदेश की ज्यादातर गुफाओं में टूरिस्ट कैब का निर्माण किया जाना। वहीं फैक्टरियों से निकलने वाले धुएं से भी इनका दम घुट रहा है।
नेशनल केव रिसर्च एंड प्रोटेक्शन आर्गनाईजेशन की टीम ने प्रदेश के कांकेर जिले के सोनखुदाई गुफा, सरगुजा, सूरजपुर, बस्तर और दंतेवाडा आदि जिलों की कुल 14 गुफाओं का सर्वे किया। नेशनल केव रिसर्च एंड प्रोटेक्शन आर्गनाईजेशन के डायरेक्टर डॉ. जयंत विश्वास ने कहा कि यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगामी दिनों में चमगादड़ विलुप्त हो जाएंगे।
ग्रामीण कर रहे चमगादड़ों का शिकार
सर्वे में पाया गया कि रायगढ़ जिले के शिंघनपुर गुफा व बस्तर जिले के सभी गुफाओं में रहने वाले चमगादड़ों का स्थानीय लोग शिकार कर रहे हैं। इस कारण भी चमगादड़ों की संख्या नियमित रूप से कम होती जा रही है। इसके साथ गुफाओं के जल प्रवाह प्रदूषित हो रहे हैं। राज्य सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेने के लिए पत्र लिखा गया है।
गुफाओं को पर्यटक स्थल बनाने से आ रही दिक्कत
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रदेश की ज्यादातर गुफाओं को पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील किया जा रहा है। चमगादड़ दिन में भी अंधेरे वाली जगह को पसंद करते हैं, लेकिन अब उस जगह में भी लोग शोर-गुल कर रहे हैं, इसलिए चमगादड़ परेशान होकर गुफा से बाहर भाग रहे हैं।
किसान मित्र है चमगादड़
रायगढ़ ब्लाक लैलुंगा में स्थित कुर्रा गुफा में लगभग 25 हजार चमगादड़ झुंड पाए गए। कुछ झुंड में चमगादड़ कम तो कुछ में बहुत ज्यादा हैं। चमगादड़ किसान मित्र कहे जाते हैं। इनके मल-मूत्र में फॉस्फोरस की मात्रा अधिक होती है। इस कारण उर्वरक क्षमता अन्य प्राकृतिक खाद से कहीं ज्यादा है। इसके अलावा चमगादड़ रात में खेत खलिहान में पनप रहे कीट-पतंगों को भी नष्ट करता है, जिसके चलते खेतों में रासायनिक कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ती है।