मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट नरवा, घुरूवा, गरवा और बाड़ी को धरातल में मूर्त रूप देने बस्तर संभाग में तेजी से कार्य किया जा रहा है। संभाग के सातों जिलों में लगभग 1403 एकड़ में मवेशियों के लिए 244 गौठानों का निर्माण किया जा रहा है। यह कार्य मनरेगा के तहत किया जा रहा है और इसके लिए 32 करोड़ 54 लाख रूपए की राशि संभाग के सातों जिलों के लिए स्वीकृत की गई है। इन गौठनों में संभाग के लगभग पौने दो लाख मवेशियों को सुरक्षित रहवास के साथ ही चारा और पानी मिलेगा। योजना के अन्तर्गत पशुओं के लिए चारागाह भी विकसित किया जा रहा है। कुल 1786 एकड़ में चारागाह विकसित किये जा रहे हैं।
बस्तर संभाग के कमिश्नर श्री अमृत कुमार खलखो राज्य शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना की सतत मॉनीटरिंग कर रहें हैं। उन्होंने बताया कि राज्य शासन की यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने वाला होगा। गांवों में लगातार सिमटते चारागाह और चारे की समस्या से भी ग्रामीणों को राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि बस्तर संभाग में वर्तमान में 244 गौठान स्वीकृत किए गए हैं, जिसमेें 206 गौठानों का निर्माण कार्य चल रहा है। बस्तर जिले में 54, कोण्डागांव में 17, दंतेवाड़ा में 22, नारायणपुर में 17, सुकमा में 23, बीजापुर में 15 और कांकेर जिले में सर्वाधिक 83 गौठानों का निर्माण किया जा रहा है। इसी तरह संभाग में गौठानों के निर्माण के साथ ही मवेशियों के लिए 1786 एकड़ में चारागाह भी विकसित किए जा रहे हैं। इनमें बस्तर जिले में 450 एकड़, कोण्डागांव जिले में 358 एकड़, नारायणपुर जिले में 210 एकड़, दंतेवाड़ा जिले में 88 एकड़, सुकमा जिले में 250 एकड़, बीजापुर जिले में 75 एकड़ तथा कांकेर जिले में 354 एकड़ क्षेत्र में चारागाह का विकास किया जा रहा है।
गोठान में पशुओं को पानी पीने के लिए कोटनी की व्यवस्था के साथ ही चारागाह को हरा-भरा रखने के लिए सोलर पम्प से चारागाह की सिंचाई की सुविधा होगी। घुरूवा योजना के तहत यहां गायों से होने वाले गोबर को इकट्ठा करने के लिए नाडेप टैंक और वर्मी कम्पोस्ट टैंक बनाए जा रहे हैं। वर्मी कम्पोस्ट टैंक से केंचुआ खाद तैयार किया जाएगा। गायों की देखरेख पशुपालन विभाग द्वारा की जाएगी और बीमार पशुओं का निःशुल्क इलाज किया जाएगा। बारिश शुरू होते ही गोठान की सुरक्षा के लिए लगाए गए फेंसिंग के किनारे पौधे लगाएं जाएंगे। इन पौधों की देखरेख एवं जीवित रखने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर समिति बनाई गई है। समिति के प्रत्येक सदस्य को पौधों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाएगी और उसके बदले उन्हें मानदेय दिया जाएगा।