वनवृत्त जगदलपुर अंर्तगत बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और बस्तर वनमंडलों के करीब 1500 वन कर्मचारियों को फिर लोकसभा चुनाव ड्यूटी में लगा दिया गया है, इसलिए हजारों वर्ग किमी का जंगल भगवान भरोसे रह गया है। सतत निगरानी नहीं होने से जहां पेड़ों की कटाई शुरू हो गई है वहीं जंगल में लगाई आग समय रहते बुझ नहीं पा रही है। सूत्रों ने बताया कि सीमावर्ती इलाकों में तैनात वनकर्मियों को चुनाव कार्य से मुक्त करने पत्र लिखा गया था परंतु इस दिशा में जिला चुनाव कार्यालय से अब तक कोई सार्थक कार्रवाई नहीं हो पाई है। बताया गया कि विगत विस चुनाव में भी इन कर्मियों को तैनात किया गया था।
जगदलपुर वनवृत्त के तहत चार सामान्य वनमंडल के अलावा दो राष्ट्रीय उद्यान और तीन अभयारण्य हैं। जहां 1500 से ज्यादा जमीनी कर्मचारी हैं। जो फिल्ड में जंगलों की सुरक्षा का दायित्व संभाले हुए हैं। इन कर्मचारियों को नवंबर 2018 को संपन्न विधान सभा चुनाव के दौरान भी चुनावी कार्य में लगाया गया था। जबकि चुनाव आयोग का स्पष्ट निर्देंश है कि आवश्यक सेवा वाले विभाग जैसे चिकित्सा, वन विभाग के कर्मचारियों को चुनाव कार्य से मुक्त रखना है। बावजूद इसके वन, राष्ट्रीय उद्यान और अभ्यारण्यों के करीब एक हजार पांच सौ जमीनी कर्मचारियों को इस लोकसभा चुनाव में तैनात कर दिया गया है। इसके चलते जंगलों में गश्त लगभग बंद है। सीमावर्ती इलाकों में कटाई बढ़ गई है। पूरा जंगल वन प्रबंधन समिति के सदस्यों के भरोसे छोड़ दिया गया है। अधिकारी- कर्मचारियों द्वारा सतत दौरा नहीं करने से तस्करों को सहयोग करने वाले ग्रामीणों के हौसले बढ़ गए हैं। वहीं जंगलों में आगजनी की घटनाएं भी बढ़ गई हैं। वनमंडल कार्यालय से जानकारी दी गई कि जंगलों में हो रही कटाई, ग्रामीणों द्वारा जंगलों में आग लगाने और पारद करने की घटनाएं को देखते हुए जिला कलेक्टर व निर्चाचन अधिकारी को पत्र लिखकर संवेदनशाील क्षेत्र के वनकर्मियों को चुनाव कार्य से मुक्त करने का आग्रह किया गया था परन्तु वांछित कार्रवाई नहीं हो पाई है।