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पंडो जनजाति के युवाओं में जगी विकास की उम्मीद

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सुरजपुर। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो जनजाति का पिछले दो सप्ताह से सर्वे चल रहा है। यह सर्वे समाज के युवा खुद घर-घर जाकर कर रहे हैं। सुरजपुर कलेक्टर दीपक सोनी ने पिछले दिनों पंडों जनजाति के लोगों का बैठक आहुत की थी। जिसमें उन्होंने समाज के युवाओं को समाज के लोगों को शासकीय योजनाओं की लाभ नहीं मिल पाने के लिए चलते सर्वे करने की बात कही। वहीं उन्होंने कहा कि शासकीय योजनाओं का लाभ किसे मिल रहा, किसे नहीं, शिक्षा और आर्थिक स्थिति के साथ इनकी जनसंख्या व इनके गांवों की स्थिति का आंकलन किया जा रहा है। आजादी के बाद पहली बार समाज के लोगों में विकास की उम्मीद जगी है। समाज के युवक उत्साह के साथ 12 मार्च से इस सर्वे में जुटे हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश में पंडो जनजाति की जनसंख्या साठ हजार के करीब है, जो सूरजपुर, सरगुजा, बलरामपुर, कोरिया, कोरबा, बिलासपुर, रायगढ़ जिलों में निवास करती है।

बिडम्बना है कि अति विशेष पिछड़ी जनजाति पंडो को राष्ट्रपति दत्तक पुत्र कहा जाता है और यही नहीं इनके विकास के लिए अलग से पंडो विकास प्राधिकरण है। करोड़ों का फंड है फिर भी इनकी वास्तविक स्थिति बदहाल है। आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक हर रूप में पिछड़े हैं। शासकीय योजनाएं इनसे दूर हैं। शासन-प्रशासन इनके विकास के लिए धरातल पर कभी गंभीर नहीं दिखी, बजाए कागज के, लेकिन सूरजपुर जिले में इनके विकास के लिए फिर से प्रयास चालू हो गए हैं। पंडो जनजाति के जिला अध्यक्ष बनारसी   पंडों ने बताया कि आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद आज तक किसी ने जनजाति का सुध नहीं लिया है। सुरजपुर कलेक्टर के मार्गदर्शन में पहली बार प्रयास जनजाति का सर्वे खुद समाज के लोगों द्वारा किया जा रहा है। लोगों को इस सर्वे से काफी उम्मीदें है।

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