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बस्तर : इमली संग्रहण, खेती -किसानी के साथ किसानों के लिए बोनस

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देश तथा विदेश की रसोई को लाजबाव बनाने वाली बस्तर की खट्टी-मीठी इमली की फसल तैयार हो चुकी है। स्थानीय ग्रामीण आजकल इमली संग्रहण में व्यस्त हैं। स्थानीय बाजार में ग्रामीणों को 30-35 रुपये प्रति किलो का भाव मिल रहा है जिससे ग्रामीण खेती-किसानी के साथ बोनस की तरह मानते हैं। जगदलपुर, बस्तर आदि जिलों के आदिवासियों के एक बड़े वर्ग की रोजी-रोटी इमली है। इन जिलों के ग्रामीण इलाकों में घर-घर बड़े बुजुर्गों से लेकर महिलाएं, बच्चे तक इमली तोड़कर इसे फूल में बदलते और चपाती बनाते देखे जा सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक बस्तर में हर साल लगभग पांच सौ करोड़ रुपये का इमली का कारोबार होता है। ग्रामीण आदिवासी संग्राहकों का एक मुख्य व्यवसाय इमली की चपाती बनाना है। इन जिलों में आदिवासी रिहायशों में पर्याप्त संख्या में इमली के पेड़ हैं। कई घर ऐसे भी मिल जाएंगे, जिनके आसपास दर्जनों इमली के पेड़ हैं। फरवरी-मार्च में इमली के मौसम में आदिवासी इसके फल बाजारों में बेचते हैं।

वे इमली तोड़कर उसके छिलके उतार देते हैं। छिली इमली को आंटी कहा जाता है। इसमें इमली के बीज और रेशे मौजूद होते हैं। बाद में इससे रेशा और बीज निकाला जाता है, जिसे फूल इमली कहते हैं।

फूल इमली की ही चपाती बनाई जाती है। बाजार में बेचने से पहले इन चपातियों को पॉलिथीन में कवर कर दिया जाता है। इन आदिवासी इलाकों में ज्यादातर महिलाओं के माध्यम से गांवों के व्यवसायियों तक इमली की आपूर्ति होती है। वर्तमान में उन्हें लगभग सात सौ रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से भुगतान मिलता है।

इसके बाद तैयार माल बड़े थोक खरीदारों को सप्लाई कर दिया जाता है। पूरा कारोबार कमीशन पर आधारित होता है। बाजार में इमली सीजन के समाप्ति यानि अप्रैल से साल भर चलता है और घर बैठे लोगों को अपनी मर्जी का रोजगार उपलब्ध मिलता है। रोजाना एक परिवार औसतन एक दिन में 20 किलो इमली फोड़ लेता है।

ग्रामीण गणेश, राजमन ने बताया इमली के एक झाड़ से 5-7 क्विंटल तक की इमली निकल जाती है। घर और खेत के मेड़ में स्थित इमली के झाड़ से शुद्ध मुनाफा होता है। बाजार में इस सीजन में इमली को 30 से 35 रुपये का दाम मिल रहा है। पिछले साल यह 55 रुपये प्रति किलो तक बिका था।

इस बार कीमत कम होने से लोगों में कुछ नाराजगी भी है। वहीं बाजार में इमली की खरीदी करने वाले व्यापारियों ने बताया इमली की अच्छी आवक हो रही है। मौसम साफ रहने से आगे कीमत बढ़ने की संभावना है। अभी बाहर से विशेष डिमांड न होने से खरीदे गए इमली को स्थानीय कोल्ड स्टोरेज में संग्रहित कर दाम बढ़ने का इंतजार किया जा रहा है।

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