सन 1973 में ठेकेदारों द्वारा जंगलों की कटाई के विरोध में सुन्दरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में ग्रामीणों ने एक बड़ा आंदोलन चलाया था। जिसे चिपको आंदोलन का नाम दिया गया था। जब ठेकेदार के आदमी पेड़ों को काटने के लिए जंगलों में पहुंचे तो गांव के लोग पेड़ों से चिपक गए। प्रदेश में आज के दौर में भी वनों की अवैध कटाई जारी है।
ग्राम चिकपाठ में जागरूकता कार्यक्रम, गोष्ठी के बाद ग्रामीणों ने पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया। सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण महिला, पुरुष और बच्चे चिपको आंदोलन की तर्ज पर पेड़ों से लिपट गए। पर्यावरण जागरुकता को लेकर संवेदना समूह के द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। गोष्ठी में ग्रामीणों को जंगल के महत्व की जानकारी दी गई।