छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित बीजापुर में रक्त अल्पता के कारण गंभीर एक 19 वर्षीय बालिका की सीआरपीएफ के जवानों ने आगे आकर मदद की है. बीजापुर के शांतिनगर की रहने वाली एक युवती बीते 27 फरवरी से जिला मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल में भर्ती है. चिकित्सकों ने बताया कि युवती को पिरियड के दौरान हेवी बिल्डिंग हो रही थी, जिससे उसके शरीर में खून की कमी हो गई थी. महज 3 ग्राम ब्लड ही उसके शरीर में था, जिससे उसकी तबियत लगातार बिगड़ती जा रही थी.
युवती का ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव था, लेकिन अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्त की उपलब्धता ना होने से ब्लड डोनेशन कैप्निंग से जुडे लोगों से संपर्क किया गया. जिसके बाद युवती की सहायतार्थ कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर इस मैसेजे को वायरल किया. थोड़ी ही देर में सीआरपीएफ 168 बटालियन की तरफ से युवती की मदद का भरोसा मिला. मदद को आगे आए सीआरपीएफ के दो जवान हेड कांस्टेबल सूचन कुमार सिंह, कांस्टेबल एम मुरली ने देरी ना करते हुए अस्पताल पहुंचकर रक्त दान किया.
जवानों का खून युवती को चढ़ाए जाने के बाद स्वास्थ्य में सुधार की बात चिकित्सक कह रहे हैं. पीड़ित युवती के माता-पिता नहीं है. ऐसे में रिश्तेदार ही उसकी देखरेख कर रहे हैं. आपात स्थिति में मदद को आगे आए जवानों के जज्बे से रिश्तेदार ही नहीं बल्कि पूरा अस्पताल परिवार प्रभावित था. जवानों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के साथ अस्पताल प्रबंधन की तरफ से उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर भी सम्मानित किया गया. नीला के परिजनों का कहना था कि जिस तरह सीआरपीएफ बस्तर में शांति के मकसद से नक्सलवाद से जंग लड़ रही है वही रक्त दान जैसे पुनीत कार्य के जरिए मानवता का संदेश भी दे रही है. इस तरह सुरक्षा बल की भूमिका में भी सीआरपीएफ निर्बलों को बल देकर मानवीयता की मिशाल उन्होंने पेश की है.