कलेक्टर डॉ सारांश मित्तर ने कहा है कि वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत जारी दिषा-निर्देषों तथा सरकार की मंशा के अनुरूप वन अधिकार हेतु वास्तविक दावों का सत्यापन कर वन अधिकार पत्र जारी करें। उन्होंने कहा कि ग्रामसभा द्वारा तैयार प्रस्ताव के आधार पर स्थल निरीक्षण करें तथा यह सुनिष्चित करें कि पात्र दावेदार वन अधिकार पत्र के लिए वंचित न हो। डॉ मित्तर ने यह निर्देष आज यहॉ जिला पंचायत के सभाकक्ष में वन अधिकार पत्र के क्रियान्वयन हेत आयोजित एक दिवसीय कार्यषाला में अधिकारियों को दिये।
कलेक्टर डॉ सारांश मित्तर ने कहा कि 13 दिसम्बर 2005 से पूर्व के छोटे-बड़े झाड़ीयुक्त जगंल के वनभूमि पर काबिज अनुसूचित जन जातियां तथा कम से कम तीन पीढ़ियों से काबिज वनभूमि में निवास करने वाले अन्य परंपरागत वन निवासियों को अधितम चार हेक्टेयर अर्थात दस एकड़ भूमि का वन अधिकार पत्र दिया जा सकता है। इस दस एकड़ भूमि की सीमा में राजस्व भूमि भी शामिल भी होगी। अर्थात जिनके पास पूर्व से राजस्व की भूमि है अथवा खरीदी गई भूमि है तो वन अधिकार पत्र कुल भूमि को शामिल करते हुए तैयार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि अबतक प्राप्त आवेदनों का पुनः सूक्ष्म परीक्षण कर पात्र परिवारों को वन अधिकार पत्र जारी करें। कलेक्टर ने बताया कि वन अधिकार अधिनियम 2006 के क्रियान्वयन हेतु शासन के निर्देषानुसार ग्राम, उपखण्ड तथा जिला स्तर पर, त्रिस्तरीय समिति का गठन कर आपसी समन्वय स्थापित किया जायेगा। ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत द्वारा ग्राम सभा की बैठक बुलाकर प्रथम अधिवेषन में कम से कम दस और अधिकतम 15 सदस्यों की वन अधिकार समिति का गठन किया जायेगा। वन अधिकार समिति में दो तिहाई सदस्य अनुसूचित जनजाति वर्ग के एवं एक तिहाई सदस्य महिला होना चाहिए। विषेष पिछड़ी जनजाति वाले ग्रामों में न्यूनतम दो सदस्य विषेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के होना चाहिए। उपखण्ड स्तरीय समिति में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी, जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तथा जिला पंचायत द्वारा नामांकित जनपद पंचायत के तीन सदस्य शामिल होगें। इसी प्रकार जिला स्तरीय समिति कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित होगी। जिसमें जिला पंचायत के तीन सदस्य, वनमण्डलाधिकारी तथा आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त सदस्य होगें।
कलेक्टर ने कहा कि व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र के साथ ही सामुदायिक अधिकार पत्र के दावों पर भी गंभीरता पूर्वक संवीक्षा कर अधिकार पत्र तैयार करें। उन्होंने कहा कि वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत निर्धारित प्रारूप में ही आवेदन पत्र स्वीकार करना सुनिष्चित करें। आवेदन में किसी प्रकार की अलग से कोई बिन्दु न जोड़े। कलेक्टर ने कहा कि वन अधिकार पत्र के संबंध में लोगों में जागरूकता लावें और उनसे सहयोगात्मक रूख अपनाते हुए दावों पर नियमानुसार विचार करें। उन्होंने कहा कि अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों तथा वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारियों से समन्वय कर वन अधिकार पत्र के संबंध में विषेष ग्राम सभा की आयोजन की तिथि निर्धारित करें इसके साथ ही विषेष ग्राम सभाओं में अनिर्वाय रूप से उपस्थित रहें। कलेक्टर ने कहा कि वन अधिकार पत्र के संबंध में पंचायत एवं ग्रामीण विकास, राजस्व विभाग तथा वन विभाग के मैदानी अमलों को विस्तृत जानकारी देने हेतु जनपद स्तर पर सभी जनपद कार्यालयों में एक दिवसीय कार्यषाला आयोजित करें। कार्यषाला में पटवारी, सचिव एवं रोजगार सहायकों को भी जरूर शामिल करें।
कार्यषाला में मास्टर ट्रेनर आदिवासी विभाग के उप संचालक श्री डी.पी. नागेष द्वारा प्रोजेक्टर के माध्यम से अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम 2006 एवं संषोधित नियम 2012 के क्रियान्वयन के संबंध में महत्वपूर्ण परिभाषायें, समितियों एवं शासकीय विभागों की भूमिका ग्राम सभा द्वारा दावा तैयार करना एवं सत्यापन करने की प्रक्रिया वन अधिकार समिति के कार्य, वन अधिकारों के मान्यता की प्रक्रिया, सामुदायिक वन संसाधन के लिए अतिरिक्त साक्ष्य की जानकारी दी गई। आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिले में अबतक 6 लाख 59 हजार 585 व्यक्तिगत वनाधिकार पत्र हेतु आवेदन पात्र हुआ है, जिसमें अनुसूचित जनजाति के 2 लाख 38 हजार 226 तथा अन्य परंपरागत वन निवासियों के 6 हजार 200 वन अधिकार पत्र वितरित किया गया है, वहीं सामुदायिक वन अधिकार पत्र के तहत 6 हजार प्राप्त आवेदनों में से 1 हजार 413 वन अधिकार पत्र वितरित किया गया है।
कार्यषाला में नवपदस्थ अपर कलेक्टर श्री कुलदीप शर्मा, जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती नम्रता गांधी, वनमण्डलाधिकारी श्रीमती प्रियंका पाण्डेय, उदयपुर के अनुविभागीय दण्डाधिकारी श्री आकाष छिकारा, अम्बिकापुर के अनुविभागीय दण्डाधिकारी श्री अजय त्रिपाठी, सीतापुर के अनुविभागीय दण्डाधिकारी श्री अतुल शेट्टे, आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त श्री जे.आर. नागवंषी, सभी जनपदों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहित वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी उपस्थित थे।