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बस्तर में शांति की उम्मीद लेकर 7 दिनों की यात्रा पर निकले 3 सौ से अधिक सायकल सवार

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जगदलपुर। बस्तर में शांति और खुशहाली के लिए शांति यात्रा संभाग मुख्यालय स्थित मां दंतेश्वरी के दर्शन उपरांत प्रारंभ हुई। यात्रा का शुभारंभ पद्मश्री धर्मपाल सैनी व सर्व आदिवासी समाज के सदस्यों के द्वारा की गई। यात्रा में 300 से अधिक आदिवासी युवक-युवती शामिल हैं। बस्तर के विभिन्न इलाकों से 7 दिनों का सफर पूरा कर 28 फरवरी को यह दल राजधानी रायपुर पहुंचेगा।

रायपुर में 2 मार्च को एक सभा का भी आयोजन किया गया है जिसमें यात्रा की समीक्षा और मांगों के बारे में आगे की रूपरेखा तैयार होगी। इस यात्रा का उद्देश्य बस्तर में शांति बहाली है। बस्तर में नक्सलवाद खत्म कर शांति बहाल कराने और अपनी समस्याओं की ओर प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराने के लिए यह यात्रा निकाली गई है। राजधानी रायपुर के लिए रवाना होने से पहले सायकल चालक दल ने मां दंतेश्वरी मंदिर में दर्शन किए। रस्ते में कई जगह यात्रा का स्वागत भी हुआ। यात्रा में बस्तर के अलावा पड़ोसी राज्य ओडिसा और तेलंगाना के भी युवा भी शामिल हुए हैं।

यात्रा पर निकले युवाओं का कहना है की कई युवा नक्सलियों के दहशत के चलते तेलांगना चले गए थे और वहीं पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन उनका बस्तर में आय, जाति, निवास प्रमाणपत्र नहीं बन पाया। इस वजह से उन्हें भारी दि-तों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया की इस विषय को लेकर वे प्रदेश के अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। दल में शामिल आदिवासी नेता राजराम तोड़ेम के अनुसार इससे पहले भी नक्सलवाद के मुद्दे पर रैलियां निकाली गईं मगर आज तक आदिवासियों की मांगें जस की तस हैं। बस्तर से धीरे-धीरे आदिवासी समाप्त हो रहे हैं। इस ओर ध्यान देना बेहद आवश्यक है।

साइकल यात्री अपने साथ राशन पानी भी ले कर निकले हैं, ताकि रास्ते में रुक कर वह भोजन आदि कर आगे बढ़ सकें। इनके साथ सद्भावना संयोजक शुभ्रांशु चौधरी, सोशल एक्टिविस्ट डॉ शेख हनीफ, शबरी गांधी आश्रम चेट्टि के ए वी वी चंद्रशेखर साथ चल रहे हैं। बस्तर में शांति यात्रा के लिए निकलने वाली यह अब तक की सबसे बड़ी यात्रा मानी जा रही है। साईकिल यात्रा के माध्यम से सरकार से यह मांग की जाएगी की जेल में बंद बेगुनाह आदिवासियों को जल्द से जल्द न्याय दिलाकर रिहा किया जाए। नक्सली हिंसा के बाद गांव छोड़कर गए आदिवासियों को पुनर्वास नीति के तहत विस्थापन किया जाए। शुक्रवार से प्रारंभ हुई साइकिल यात्रा कोंडागांव, केशकाल, कांकेर, चारामा, धमतरी, अभनपुर होते हुए रायपुर पहुंचेगी।

जगदलपुर। बस्तर में शांति और खुशहाली के लिए शांति यात्रा संभाग मुख्यालय स्थित मां दंतेश्वरी के दर्शन उपरांत प्रारंभ हुई। यात्रा का शुभारंभ पद्मश्री धर्मपाल सैनी व सर्व आदिवासी समाज के सदस्यों के द्वारा की गई। यात्रा में 300 से अधिक आदिवासी युवक-युवती शामिल हैं। बस्तर के विभिन्न इलाकों से 7 दिनों का सफर पूरा कर 28 फरवरी को यह दल राजधानी रायपुर पहुंचेगा।

रायपुर में 2 मार्च को एक सभा का भी आयोजन किया गया है जिसमें यात्रा की समीक्षा और मांगों के बारे में आगे की रूपरेखा तैयार होगी। इस यात्रा का उद्देश्य बस्तर में शांति बहाली है। बस्तर में नक्सलवाद खत्म कर शांति बहाल कराने और अपनी समस्याओं की ओर प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराने के लिए यह यात्रा निकाली गई है। राजधानी रायपुर के लिए रवाना होने से पहले सायकल चालक दल ने मां दंतेश्वरी मंदिर में दर्शन किए। रस्ते में कई जगह यात्रा का स्वागत भी हुआ। यात्रा में बस्तर के अलावा पड़ोसी राज्य ओडिसा और तेलंगाना के भी युवा भी शामिल हुए हैं।

यात्रा पर निकले युवाओं का कहना है की कई युवा नक्सलियों के दहशत के चलते तेलांगना चले गए थे और वहीं पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन उनका बस्तर में आय, जाति, निवास प्रमाणपत्र नहीं बन पाया। इस वजह से उन्हें भारी दि-तों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया की इस विषय को लेकर वे प्रदेश के अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। दल में शामिल आदिवासी नेता राजराम तोड़ेम के अनुसार इससे पहले भी नक्सलवाद के मुद्दे पर रैलियां निकाली गईं मगर आज तक आदिवासियों की मांगें जस की तस हैं। बस्तर से धीरे-धीरे आदिवासी समाप्त हो रहे हैं। इस ओर ध्यान देना बेहद आवश्यक है।

साइकल यात्री अपने साथ राशन पानी भी ले कर निकले हैं, ताकि रास्ते में रुक कर वह भोजन आदि कर आगे बढ़ सकें। इनके साथ सद्भावना संयोजक शुभ्रांशु चौधरी, सोशल एक्टिविस्ट डॉ शेख हनीफ, शबरी गांधी आश्रम चेट्टि के ए वी वी चंद्रशेखर साथ चल रहे हैं। बस्तर में शांति यात्रा के लिए निकलने वाली यह अब तक की सबसे बड़ी यात्रा मानी जा रही है। साईकिल यात्रा के माध्यम से सरकार से यह मांग की जाएगी की जेल में बंद बेगुनाह आदिवासियों को जल्द से जल्द न्याय दिलाकर रिहा किया जाए। नक्सली हिंसा के बाद गांव छोड़कर गए आदिवासियों को पुनर्वास नीति के तहत विस्थापन किया जाए। शुक्रवार से प्रारंभ हुई साइकिल यात्रा कोंडागांव, केशकाल, कांकेर, चारामा, धमतरी, अभनपुर होते हुए रायपुर पहुंचेगी।

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