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“10 मिनट की डिलीवरी बंद करने की मांग संसद में! AAP सांसद बोले- ‘ये रोबोट नहीं, अमानवीयता खत्म हो'”

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फिलहाल कपड़े से लेकर किराने का सामान तक, ऑनलाइन इंस्टेंट डिलीवरी साइट्स की बदौलत 10 मिनट में घर के दरवाजे पर पहुंच रहा है। लेकिन क्या अब ग्राहकों की यह सुविधा बंद होने जा रही है?

आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा ने सीधे संसद में 10 मिनट की डिलीवरी सर्विस को बंद करने की मांग की है।

शुक्रवार को राज्यसभा में शीतकालीन सत्र के शून्यकाल में AAP सांसद चड्ढा ने कहा कि यह 10 मिनट की डेडलाइन गिग वर्कर्स (Gig Workers) के प्रति अत्याचार के अलावा और कुछ नहीं है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए डिलीवरी कर्मियों को असुरक्षित परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

राघव चड्ढा ने कहा, “डिलीवरी कर्मचारी भी इंसान हैं। उनके भी परिवार हैं। वे कोई मशीन नहीं हैं जो नॉन-स्टॉप स्पीड से काम करते रहेंगे। मैं कहना चाहता हूं कि ये लोग रोबोट नहीं हैं। वे किसी के पिता, किसी के पति, भाई या बेटे हैं। संसद को उनके बारे में सोचना चाहिए। इसलिए,

10 मिनट की डिलीवरी की इस अमानवीयता को खत्म किया जाना चाहिए।”

AAP सांसद ने जोर देकर कहा कि भले ही ग्राहक इंस्टेंट डिलीवरी से लाभान्वित हों, लेकिन जो लोग इस डिलीवरी को संभव बना रहे हैं, उनकी स्थिति दिहाड़ी मजदूरों से भी बदतर है। Zomato, Swiggy, Blinkit, Zepto, Ola, Uber जैसी कंपनियों के कर्मचारी देश की अर्थव्यवस्था की अदृश्य प्रेरक शक्ति हैं। हर ऑर्डर या नोटिफिकेशन के पीछे इन कर्मचारियों की कड़ी मेहनत अनदेखी रह जाती है।

प्रतिकूलताओं की सूची: राघव चड्ढा ने गिग वर्कर्स को झेलनी वाली चुनौतियों की सूची प्रस्तुत की:

असामान्य गति: जुर्माना (पेनल्टी) से बचने के लिए उन्हें असामान्य गति से डिलीवरी करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

यातायात नियम तोड़ना: रेटिंग कम होने के डर से कई लोग यातायात नियमों का उल्लंघन करते हैं और अपनी जान जोखिम में डालने से भी नहीं हिचकिचाते।

असुरक्षित माहौल: किसी भी मौसम में डिलीवरी एजेंटों को लंबे समय तक बाहर रहना पड़ता है।

बीमा का अभाव: उनके पास किसी भी प्रकार का बीमा या सामाजिक सुरक्षा नहीं होती है।

ग्राहक का दुर्व्यवहार: उन्हें लगातार ग्राहकों के दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ता है।

इसलिए, राघव चड्ढा ने इस अमानवीय स्थिति को समाप्त करने के लिए 10 मिनट की सेवा को बंद करने की मांग की है।