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“भारत का यूक्रेन पर बैलेंसिंग एक्ट… पुतिन के ऊर्जा के विश्वसनीय सप्लायर वाले बयान की दुनिया भर में चर्चाएं”

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राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे पर ना सिर्फ पश्चिम बल्कि दुनिया भर की नजरें लगी हुई थी। नई दिल्ली और मॉस्को के बीच रिश्तों को गहरा करने की एक और समझ बनी। तेल खरीद पर लगे प्रतिबंधों के बीच पुतिन ने पश्चिम को संदेश दिया है कि वो भारत के लिए एनर्जी सप्लाई का विश्वसनीय सप्लायर बना रहने के लिए तैयार है।

ऐसे में पुतिन की भारत यात्रा को पश्चिमी देशों के आकलन के जरिए देखने वाले जानकार कहते हैं कि पुतिन ने अपनी बात रख दी है और अब भारत का रुख अहम रहेगा। रूस मामलों के जानकार अमिताभ सिंह कहते हैं कि ‘ पश्चिमी मीडिया ने इसे रूस की आर्थिक नीतियों की विजय बताया है, क्योंकि उन्हें लगता था कि रूस के लिए सबसे बड़ा ऊर्जा का खरीददार यूरोप ही है। लेकिन इस समय चीन और भारत, रूस के लिए एक बड़े एनर्जी खरीददार बन गए हैं । आने वाले दिनों में जब भी यूक्रेन युद्ध थमेगा और प्रतिबंध हटेंगे, तो भी नहीं लगता कि पश्चिमी देश एकदम से रूस खरीदना शुरू कर देंगे । क्योंकि वो चाहेंगे कि रूस को कमजोर किया जाए। अब जबकि पुतिन ने ये कहकर गेंद भारत के पाले में डाल दी है कि रूस भारत का विश्वसनीय ऊर्जा सप्लायर बनने के लिए हमेशा तैयार है । ऐसे में इस संबंध में तय भारत को करना है कि वो अमेरिकी टैरिफ के दबावों के बीच किस तरह का रुख अपनाता है’

चीनी मीडिया की पुतिन की यात्रा पर रही नजर

चीनी मीडिया में भी राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा को ध्यान से देखा गया। ग्लोबल टाइम्स ने भारत के मीडिया हाउस को दी पुतिन के उस इंटरव्यू का जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने चीन और भारत को अपना सबसे करीबी मित्र बताया है।

यूक्रेन को लेकर सधा हुआ रहा भारत का रुख- पुतिन की यात्रा से पहले यूरोप की नजर इस बात को लेकर भारत पर बनी हुई थी, कि भारत इस दौरे में यूक्रेन युद्ध को लेकर अपना कैसा रुख सामने रखेगा। पीएम मोदी ने हमेशा की तरह इस बार भी राष्ट्रपति पुतिन के सामने शांति के प्रयासों को समर्थन देने की बात की।

अकेला नहीं है रूस…

लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि भारत रूस के साझा बयान में यूक्रेन मसले का जिक्र नहीं था। जाहिर है इससे दूरी बनाई गई। हालांकि दौरे के जरिए रूस ये दिखाने में कामयाब रहा है कि वो दुनिया में अकेला नहीं पड़ा है। भारत ने आगामी ईयू डील और रूस के साथ पुरानी मित्रता को साधने की भी पूरी कोशिश की। इस यात्रा से दोनों ही देशों को वो हासिल हुआ जो वो चाहते थे।