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छत्तीसगढ़ में नक्सल मामले का समाधान बातचीत से निकालने की संभावनाएं कमजोर हुईं

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 छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद कहा जा रहा था कि अब नक्सल नीति बदलेगी। शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके संकेत भी दिए थे, लेकिन हाल के दिनों में बस्तर में फोर्स की आक्रामकता को देखते हुए लगता है कि नीति में कोई बदलाव शायद ही हो।

गुरूवार को अबूझमाड़ में ऑपरेशन के बाद मीडिया से रूबरू हुए डीजीपी डीएम अवस्थी ने कहा- हम मानते हैं कि नक्सलवाद सिर्फ कानून व्यवस्था की समस्या नहीं है बल्कि सामाजिक आर्थिक समस्या भी है। इससे निपटने के लिए विकास के साथ लोगों को मुख्य धारा में जोड़ने की मुहिम चलाने की जरूरत है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि नक्सली गोली चलाएंगे और जवान चुप रहेंगे।

उन्होंने कहा कि फिलहाल नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन रोकने का कोई सवाल ही नहीं है। डीजीपी के इस बयान से यह साफ है कि नक्सल मामले में पिछली सरकार में जो हो रहा था वह आगे भी जारी रहेगा। कांगे्रस ने चुनाव के समय वादा किया था कि वे आए तो बातचीत के जरिए नक्सल समस्या को समाधान तलाशेंगे।

सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री बोले बातचीत का मतलब नक्सलियों से बातचीत नहीं है। हम पीड़ित आदिवासियों, पत्रकारों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और वहां लड़ रहे फोर्स के जवानों से भी बातचीत करेंगे। नक्सलियों से बात नहीं की जाएगी। इसके बाद सरकार की ओर से यह भी साफ कर दिया गया कि बस्तर से फोर्स की वापसी नहीं होगी।

यानी फिलहाल इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि सरकार की इस मामले में कोई और नीति बनेगी। कहा जा रहा है कि जेलों में फर्जी नक्सल मामलों में बंद आदिवासियों को रिहा कराने के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा। इसी बीच सुकमा में फर्जी मुठभेड़ में चार मासूम बच्चों की मां की हत्या की खबर सामने आई।

मामला खुला तो जांच के आदेश दिए गए, हालांकि ऐसी जांचों का क्या हश्र होता है यह सभी जानते हैं। डीजीपी से जब इस बारे में सवाल किया गया तो बोले-फर्जी मुठभेड़ करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। सुरक्षाबलों को साफ निर्देश है कि गैर कानूनी काम न करें। इसकी इजाजत नहीं दी जाएगी।

समय तय नहीं कर सकते

डीजीपी ने कहा कि नक्सल समस्या कब तक हल होगी यह नहीं कहा जा सकता। ऐसी समस्याओं के हल के लिए समय नहीं तय किया जा सकता। उन्होंने दावा किया कि तीन साल पहले जब उन्होंने डीजी नक्सल ऑपरेशन का चार्ज लिया था तब से अब में बहुत फर्क आया है। नक्सली सीमित दायरे में सिमट गए हैं। सिर्फ ऑपरेशन से हल नहीं निकलेगा। लोगों को मुख्य धारा में आने के लिए प्रेरित करना पड़ेगा।

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